कर भला, होगा भला | Kar Bhala, Hoga Bhala

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Kar Bhala, Hoga Bhala by भगवान चन्द्र 'विनोद' - Bhagawan Chandra 'Vinod'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कर भला होगा भला श्र करके रोने लगा । उधर नाग-लोक मे पूछकटे बच्चो ने बडे होकर शरपनी माता से पूछ कटने का कारण पूछा । माता ने सारा हाल कह सुनाया । सुनकर वे लाल-पीले होगये श्रौर सब एक स्वर से चीख उठे-- हम इसका बदला लेकर दम लेगे स॒ब-के-सब उसी समय बदला लेने के लिए मण्णि के यहा के लिए रवाना होगये । जिस समय वे मरिए के घर पहुचे उस समय वह धरती पर माथा टेके भगवान से नाग-भाइयो के सुख की कामना कर रही थी। क्रोध मे पागल नाग फू-फू करते हुए उसी भ्रोर बढ़े पर मसिि श्रपने ध्यान में लगी रही । प्राथना करके जब मरिण ने ग्राखे खोली तो श्रपने नाग- भाइयों को देखकर उसे बडी प्रसन्नता हुई । उसने भऋट एक बडी परात मे दूध भर दिया श्रौर धान का लावा उसमे डाल दिया । नागो ने पेटभर दूध पिया श्रौर लावा खाया । सब प्रसन्नता से नाचने लगे । मरिण ने उनसे नागलोक के समाचार पुछे श्रौर उनके साथ बडे प्यार का व्यवहार किया । वे भाई झ्राये थे बदला लेने लेकिन बहन के बर्त्ताव से उनका सारा गुस्सा जाता रहा श्रौर उनका हृदय प्रेम से भर उठा । चलते समय उन्होने श्रपनी बहन को एक मरिणि-माला दी | उस दिन के बाद सब श्रच्छी तरह से रहने लगे ।




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