गल्प - संचय | Galp - Sanchaya

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Galp - Sanchaya by अखिलेश चन्द्र उपाध्याय - Akhilesh Chandra Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कहानी पर दो शाब्द कप हरा कहानी में छठी बात जो ध्यान देने की है वह पात्रों को क्रम रखना है। बहुत से लेखक अनेक पात्रों और अनेक स्थानों का नाम कहानी में भरें देते हूँ। परत्तु ऐसा किसी भी दशा से न होना चाहिए । पाठक धीरे-धीरे पात्रों और स्थानों से परिचित होता हू और एक छोटी सी कहानी मे बहुत अधिक पात्र ला देने से न तो सबका चित्रण ही सुन्दर किया जा सकता है न उसका समुचित विकास ही हो पाता है । पावों में नायक का सी प्रवेश यथाशीघ्र होना चाहिए । अधिक पात्र और स्थल के छोभी लेखक को कहानी की ओर न आकर उपन्यास की ओर भुकना चाहिये जिसमें तात्विक रूप मे अधिक झन्तर न होकर थोडा ही परिवर्तन छाना आवश्यक होता है । कहानी में हम अपनी सुविधानुसार जो चाहे नहीं लिख सकते 1 अत कहानी की एक निश्चित रूप रेखा पहले से बनी रहनी चाहिये । उसमे अनर्गल बाते कभी भी न लानी चाहिये । रसो के निर्वाह का भी ध्यान रखना आवश्यक है । यदि हास्यरस की कहानी है तो करुणापूर्ण वर्णन से लाना हो उत्तम है । चतुर लेखक पात्रो के कथोपकथन द्वारा ही अपना उद्देब्य पूरा करता हूं। वह स्वय कुछ नहीं कहता । कथोपकथन जितना ही नाटकीय ढंग से श्रस्तुत किया जा सके कहानी उतनी ही आकर्षक होगी । . कहानी का प्रारभ किसी घटना से हो तो वहू अधिक आकर्षक हो सकती है । यकायक कोई धडाका हुवा और चारो ओर से लोग जमा हो गये । जाँचा पूँछा और समाबान होने पर छौट गये । ठीक ऐसे ही घटना से भारभ होने वाले कहानी पाठकों को खीच लेगी और उनकी जिज्ञासा के बल पर उन्हें अपने में व्यस्त रखती है । इन सब वातों को ध्यान मे रखकर कहानी लेखक को आयें वढना चाहिए। परन्तु कुछ स्व भाविक वाते भी होती है जो लेखक को सहायता देने वाली - होती है । उसकी अपनी शैली और विचार धारा वहुत सी चुटियो के होने




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