नगीने | Nagine

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Nagine by सुदर्शन - Sudarshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भझ अमीरचन्दने कुरसीसे उठते हुए सिगरेट सुलगाया और -फुकीरः चन्दकी तरफ देखकर बोले-मादम होता है कोई ख़ास वात है । फरमाईये क्या आज्ञा है फकीरचन्द--पहटले प्रतिज्ञा करो मानोगे । फिर कहूँगा | अमीरचन्द--अगर मानने लायक होगी तो जरूर मारनूगा | फकीरचन्द---इसकी दाते नहीं । पहले प्रतिज्ञा करो । अमीरचन्दने सिगेरेटकी राख जमीनपर गिराकर कहा-कोरे कागज पर दस्तखत कराना चाहते हो फकीरचन्द--अब यही समझ लो । अगर मुझपर विश्वास है तो कर दो नहीं है तो न करो । बोलो क्या कहते हो ? अमीरचन्द--और अगर तुम दो-चार छजारका प्रोनोट लिख लो तो फिर क्या करूँगा में लाख कहूँ कि साहब कोरे काग़ज़पर इस्ताक्षर कर दिये थे मगर कौन सुनेगा सब यही कहेंगे कि वक्ता है उस समय रुपया ले लिया अब माँगा तो बातें बनाने लगा । फुकीरचन्द ( कन्घेसे पकड़कर कुरसीपर बैठाते हुए ) इस तरह छुटकारा न छोगा । प्रतिज्ञा करो नहीं तो खाना-पीना छोड़ दूँगा । फिर मनाते फिरोगे | अमीरचन्द ( गम्मीरतासे )--तुम डाक्टर दो या कोतवाल ? फूकीरचन्द---तुम कोतवाल ही समझ लो मगर प्रतिज्ञा करनी होगी । लो अब मेरा समय नष्ट न करो । कहो जो कह्दोंगे मा्नूँगा । अमीरचन्द ( विवदतासे )--अच्छा भई प्रतिज्ञा की । बको क्या बकते दो




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