भारतीय दर्शनशास्त्र का इतिहास | Bharatiya Darshanshastra Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.39 MB
कुल पष्ठ :
436
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज - Mahamahopadhyaya Shri Gopinath Kaviraj
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१घ दर्शनशास्त्र का इतिहास संसार की सारी विद्याएं सचुष्य की जीवन में श्रस्िरुचि की योतक हैं दर्शन- शाख््र का ता सुख्य विषय ही जीवन है। कवि श्रौर उपन्यासकार की सॉति दार्शनिक भी जीवन को समस्या थों पर प्रकाश डालना चचाइता है । यही नहीं जीवन को समस्या श्रों पर जितनी तत्परता से दाशंनिक विचार करता है उतना कोई नहीं करता । यहा प्रश्न यद्द उठता है कि यदि दार्शनिक कवि श्रौर उपन्यासकार दर्सनशास्र सभी जीवन पर घिचार करते हैं तो फिर कविता क्या है. उपन्यास श्र दशन में कया सेद है ? दर्शन- शाख को साहित् से जुदा करने वाली कया चीज़ है ? उत्तर यदद दै कि दुर्शनशाख्र की शैली साहित्य से भिन्न है--यह मुख्य सेद है। प्रायः कवि श्ौर उपन्यासकार जीवन पर विचार करने में किसी नियम का पालन नहीं करते । दार्शनिक चिंतन नियमानुसार होता है । झब यदि कोई श्राप से पूछे कि दर्शनशाख्र कया है तो शाप कह सकते हैं कि जीवन पर नियमानुसार किसी विशेष-पद्धति से विचार करना दर्शन . है। जीवन का वैज्ञानिक अध्ययन करना ही दुर्शनशाख्र का काम है । लेकिन जब इस जीवन पर नियम-पूर्वक विचार करना शुरू करते हैं तब्र हमें मालूम दोता है कि जीवन को समकने के लिए सिंफ़े जीवन का श्रध्ययन ही काफ़ी नहीं है । जिस जीवन को दस समकना चाहते हैं वह मनुष्य का था स्वयं ्पना जीवन है । परंतु वह जीवन संसार की दूसरी वस्तु्ों से संबद्ध है । इम एथ्वी के ऊपर रहते हैं श्र झाकाश के नीचे इम हवा में साँस लेते हैं ्ौर जल तथा झरन्न से निर्वाह करते हैं । इमारे जीवन श्र पशु्मों के जीवन में बहुत बातों में समता है बहुत में विपमता । जिस पृथ्वी पर इम रहते हैं वद॒सौर-महल् का एक भाग है चह्द सोर-मढडल भी करोड़ों तारों अहों श्रौर उपग्रहों में एक विशेष स्थान रखता है। श्माश्चर्य की वात तो यह है कि मनुष्य जेसा छोटा प्राणी पृथ्वी से हज़ारों गुने सूर्य और सूर्य से लाखें गुने विशाल नच््रों की गति ताप श्यौर परिमाण पर
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