हिंदी गध गाथा | Hindi-gadya-gatha

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Hindi-gadya-gatha by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) ही सिद्धो के रूप में भारतीय भावना का प्रवाहित करता छाया । कदीर ने इस सस्प्रदाय का अपने व्यक्तित्व के आलाक में और सड्दठित किया । यह कम घटता- चढ़ता परिवतित होता साथों के समय तक चला छझाया । चहत से झतिभा सम्पन्न साघु समय समय पर न्त्पन्न होकर षपनी सिजो स्फृतिं और प्रेरणा से इसमें नये नये परिवत्तन रनते आये। चतसान युग का राधास्वासी सम्प्रदाय इसी साधु सम्प्रदाय का सब से झर्चाचीन स्वरूप है । राहुल जो ने जिन सिद्ध कषियां का उन्लेख करके हिन्दी को इर्यत्ति-तिथि को आगे चढ़ाया है उसके नाम ये हूं :--- ६ सरहपा द शवरपा 5 आायदेव या कणुरीपा ४ लूहिपाद ५ भूसुझ ६ वोणापा ७ सिरुपा ८ दाशिकरा ९ ड्रान्मिया १८०८ स्वलपाद ११ जालघरपाद १५ डुन्कुरिपा १३ युरडरीपाद *४ सनिया १५ क्रहपा १६ तॉंतिपा १४ सहीया १८ भादेया ₹५ कहुणपयाद २० जयानस्त १ तिलापा ०० नाइ ( सारा) पा २३ शास्तिया--इस सचझा पूर्ण परिचय झौगर इसकी झतियों ली ससीज्ञा राहुल जी ने की हैं। कचनत रथ सर हो सस्वन्य है अन्य यर परम असाचायक का ययण बाग लि पहना गाली पा तो य्य्स्त वय घन दा था यहां सलमाग्र क्यों ऊना है सन्त सा का सन घाव परन्दो पु ही ् इानहास्ड से हरफग वश्य कररा परसन्द के दम्यूर विद्ास स्रोयतन के शोमिस्ाद जेयसबान सेरहस उसे का शाग्थ की प्रशसा




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