रूस में पच्चीस मास | Rus Mein Pachchis Mas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.99 MB
कुल पष्ठ :
428
श्रेणी :
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No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इरान में फू करने के लिये प्राप्त २५. पौंडीं पर हाथ डालना था । १० पौंड के सेक के घंक शाहंशाही से 2२८ तुमान मिले जिसमें ७५ तुमान तो तेहरान की बस का किराया दोना पड़ा तीन तुमान मूसा साहेब को चीर साढ़े चार तुमान मजूरों को भी | पर्सी के पर उग थाये थे उनके उड़ते देर नहीं लग रही थी । सूर्यास्त के समय घस राना हुई । ७ नवस्थर के दिन आर रात चलते रहे । श्रत्तारी गांध में नाज बे रात को श्राणम के लिए ठहरे । उताक ( कमरे) का किंगया दो लुमान ( रुपया ) दे दिया सैकिन पीछे पिस्पुयों हे परास्त हो बाहर सेटना पड़ा | सथेरे गिर हो । ससनान की मँड्इ्यों का पता नहीं था भ्रन तो बहां जड्ेगड्े पवकें घर खड़े थे पेटोल जो निकल भ्राया था | रस मी था गई थी किन्तु हु तो बस ही से तेहरान पहुँचगा था । दोपहर बाद हाजियाबाद में रूसी गीकी श्राई ।. सोधियत कॉसस का दिया पास यहां दे दिया । पास सोने बाला रूसी संचिक बहुत रूखा था सथपि बी बात उसके एसियाई साथी की नहीं र्थ प्मारी बस में अधिकतर यानी तबजी तुर्क थे जिनमें टौपबालों से पगड़ीवारी अधिक थे । राग में कारवूस-माशाधारी एक सरकारी अफसर साहब थे जो शपने लिरियाक ( भ्रफीस ) की बड़े दिखशाति के साथ पीना पसन्द करते थे मूंग के बाधा जो में । ३०-२९ किलोभीतर तेहरान रहे गया था जब कि उनका तिश्यिक पकड़ा गया । पहले उन्होंत कर रोग दिखलाना चाहा फिस्सु उससे खा घमसनाणा नहीं था | भस सकी रही ।. कारतूसो माला डाले श्रमिषान के. पुरी पिरियाकी साहब में ५.०४ तुमान रियषत के शिन दिए. चीर साथ ही उन्हें अफीम से भी होगे घोना पड़ा फिर जाकर छुट्टी मिली । हम सात बजे रात को रास की राजधानी ( तेहेराने ) में पंच | पहिंशे तो कंहीं पर रखे की जगह ननानी थी फिर सौभियत बीज की फिकर मे पड़ना था |. चिरागलक सड़क पर ४ कह करे ६. सुसान रोज का एक कमरा ुसाफिर्खाना सेहराम में मिला | उसी रात पता कोगा यहाँ. २० सुमान / थपगा ) रोज से कम खंब नहीं पढ़ेगा श्र हमारे पाल वे केव्ी ११४
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