भारतीय स्वातंत्र्य आन्दोलन और हिन्दी - साहित्य | Bharatiya Swatantry Andolan Aur Hindi Sahitya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका राजनीतिक पृष्ठभमि १८००-१८५७ ई० छः इंगलेंड की ईस्ट इंडिया कम्पनी ने किस प्रकार व्यापारिक उद्देश्य सें भारत में प्रवेश किया यह सवंविदित है । उस समय मुगल सम्पाट पूर्ण अर्थो में सम्राट थे अतः यहाँ की राजनीति में अंगरजों का कोई हाथ न होना स्वा- भाविक था । लन्दन के जिन व्यापारियों ने सन्‌ १६०० ई० में महारानी एलिज़बेथ से भारत में व्यापार करने की अनुमति माँगी उन्होंने स्वप्न मैं भी यह न सोचा होगा कि वे भारत में ब्रिटिश सा्राज्य की नींव डाल रहे थे । क्रम ईस्ट इंडिया कम्पनी की शक्ति बढ़ती गई । सूरत आगरा अहमदाबाद तथा ज्ोच में फंक्टरियाँ स्थापित हो गईं। बम्बई चाल्सं द्वितीय को विवाह में दहेज के रूप में मिला जो कम्पनी को दे दिया गया। १६६१ से १६८३ ईं० के बीच चात्सं द्वितीय से कम्पनी को ५ चाटेंर प्राप्त हुए जिनसे कम्पर्नी व्यापारिक संस्था से भौमिक शक्ति बन गई । कम्पनी को कालांतर में सेना- संचालन युद्ध और संन्धि करने तथा सिक्के बनाने का अधिकार भी मिल गया। नवीन नीति में कम्पनी का ध्येय व्यापारिक उन्नति के साथ-साथ साल-




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