हमारे नये राष्ट्रपति आचार्य कृपलानी | Hamare Naye Rashtrapati Aachary Kripalani

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Book Image : हमारे नये राष्ट्रपति आचार्य कृपलानी  - Hamare Naye Rashtrapati Aachary Kripalani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१०. ) परिस्थितियों ओर निरन्तर लड़ते रहने वाली भावनाओं ने रुन्हें गम्भीर बना दियों है ओर यकायक देखनेवाला व्यक्ति उनके तने हुए चेडरे को देग्वरुग उन्हें बड़ा क्रोघी अर गम्भीर व्यक्ति समभकेगा पर वास्तव में बात ऐसी नहीं है उनके चेडरे की बनाचट ही ऐपी है अर फिए वह बहुत शीघ्र मुन्नकरा भी उठते हैं कदा जाता है काँग्रेस वकिंग कसेटी में चह सबसे कम बोलने वाले सदस्य हूँ पर जिम्मेदारी खबसे झधिक उन्हीं की रहनी है सारी जान- कारी उन्हें रखनी पढ़ती है सारे तथ्य श्रौर अँकड़ बह पेश करते हैं और तरमीम के लिए प्रस्तावों के मंसौददे भी उन्हें रबयं बनामे पड़ते हैं । पर फिर भी बह बिनोदप्रिय हैं बहिंग कमेटी के कायकताओों रत भी वह एक फुजभड़ी स्वयं छोड़ देते हैं घोर स्वयं तथा साथियों को सबको हैं सी से लोट पोट कर देते हैं । उनका जीवन बहुत साधा साद दै ब्रह॒ फिजून खर्चो को बुरा समकते हैं शरीर ठाट बाट के रहदन सहन से उन्हें घृणा है झषने प्रान्त वासियों के दकियानूमी ख्याल्लात पश्चिमी ढंग के रदन सदन झौर पोशाक से प्रम और फजूल खर्चो उन्हें बहुत खटकती है और जब जब झाप सिंन्धियों के बीच में दोते हैं उन पर कटाक्न करने में नद्दीं




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