विद्यापति | Vidyapati

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : विद्यापति  - Vidyapati

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शिव प्रसाद सिंह - Shiv Prasad Singh

Add Infomation AboutShiv Prasad Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विद्यापलि ध्यु कहा था कि राजा और ब्राह्मण एक दारीर में एकत्र कम होते हैं कीत्तिसिह भूपति हैं और साथ ही भू-देव-- ओइनी वंस पसिद्ध जग को तसु करइ न सेव दुद्ड एुकव्थ न पाविभद् भुअवद् अरु भूदेव विद्यापति मिथिला के एक सम्पन्न ब्राह्मण-कुलछ में उत्पन्न हुए जो अपने विद्या-प्रेम के लिए विख्यात था । कर्मादित्य देवादित्य जैसे पूर्व पुरुष न केवल विद्वान थे बल्कि अपने समय के उच्च दासनाधिकारी भी थे । डॉ० सुभद्र झा ने लिखा है कि विद्वानों के ऐसे यशस्वी परिवार में विद्यापति का जन्म हुआ जो अपने परम्परागत विद्या-ज्ञान के लिए प्रसिद्ध था। कवि को रचनाओं में इस परम्परा का पूर्ण प्रतिफल दिखाई पड़ता है। विद्यापति घर्म-दर्शन भूगोल न्याय आदि के प्रकाण्ड पंडित थे । शिवसिह के आदेश पर लिखे हुए पुरुष-परीक्षा प्रन्य में विद्यापति ने लिखा है यो गोडेइवरगज्जनेइ्वर रणक्षौोणीसु लब्घधा यशो दिक-कान्ताचय-कुन्तलेघु नयते कुन्द्खजामापदम्‌ तस्य श्रीशिन्सिंह देव नपतेविज्ञप्रियस्याज्ञया ग्रन्थ ग्रंथित दण्डनीतिविषये विद्यापतिब्यातनोत्‌. विद्यापति प्रंथिल दण्ड-नीति में भी पारंगत थे। संस्कृत भाषा पर उनका कितना अधिकार था इस ग्रन्थ को देखने से पता चलता है। विद्या ज्ञान और ब्राह्मण-परम्परा सब कुछ उन्हें दायरूप में मिली थो । किन्तु इस प्रकाण्ड ज्ञान ने उनके दृदय के भाव-स्रोत को सुखाया नहीं उन्हें भव-विमुख नहीं किया । न तो उन्हें संसार अनित्य मिथ्या और बुदुबुद्‌ को भाँति प्रतीत हुआ । जब्राह्मणत्व कभी-कभी जोश पर भो आता था खास तौर से मुसलमानों के आक्रमण के समय बिजेताओं की संस्कारहीन प्रवृत्तियाँ और कुरुचिपूर्ण रीति-रिवाज उन्हें क्षुब्ध कर देते थे । कीर्तिलता में मुसलमानों के इस व्यवहार की उन्होंने बड़ी तीब्न भत्सना को है -- 1. 5000५ ० द0५०090- 83५ 20




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now