फ़ारसी साहित्य की रूपरेखा | Farasi Sahitya Ki Ruuparekha

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Book Image : फ़ारसी साहित्य की रूपरेखा  - Farasi Sahitya Ki Ruuparekha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डॉ० अली असगऱर हिकमत छिक भारत सरकार ने स्वाधीनता संग्राम के दालभों की श्रौत्सगिक विशिष्टताशओं को एक सुनिश्चित एवं स्मृतिकारी रूप देने के लिए भारतीय स्वातंत्रय संग्राम के इतिहास को संपादित करने का कायें बड़ी सावधानी तथा गंभीरता के साथ प्रारंभ किया है । किन्तु इसमें कुछ ऐसे व्यक्ति भी हैं जिन्होंने इस संलम्नता के पीछे भ्रपना जीवन समपित कर दिया । प्रस्तावित संलग्नशील छलभों में एक श्रहंब्रह्मास्मिवादी (सूफ़ी) श्री अझंबाप्रसाद थे. जो क्रांतिकारी स्वाधीनता संग्राम के यशस्वी एवं अग्रणी योद्धाओं तथा लोकमान्य तिलक के अनुगामियों में से थे। उपर्युक्त क्षेत्र के ही विप्लवी कार्येकर्त्ता लाला हरदयाल एम० ए० भाई परमानन्द एम० ए० सरदार अ्रजीत सिंह सूफ़ी अंबा प्रसाद थे । प्रथम महायुद्ध में इंग्लैण्ड से जरमनी के विरोध का लाभ उठाते हुए इन लोगों में से अ्रधिकांश ने यही समुचित समझा कि स्वदेश को श्रतिरिक्त रखकर श्रन्यान्य देशों में ऐसे विप्लवी प्रति- ष्ठान स्थापित किए जायेँ जहाँ से भारतीय स्वाधीनता संग्राम के लिए भ्रधिकाधिक. प्रयत्नशील हुमा जा सके । लाला हरदयाल




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