केरल संस्कृति | Keral Sanskriti

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Book Image : केरल संस्कृति  - Keral Sanskriti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मानव और संस्कृति संस्कृति के विषय में त्याज्य भर ग्राटय का विवेक- पुवंक पालन करना सवेधा समुचित होगा अन्यथा मानव और उसकी संस्कृति को सम्यक्‌ रूप से समझ लेना कदापि संभव नहीं होगा। नश्वर मानव के शाश्वत स्मायक उसकी संस्कृति की विशाल गोद में संस्थापित हैं । उनका अध्ययन सवेदा आनन्द- दायक है जिससे मनुष्य अपने आपको भी अमरत्व का सच्चा अधिकारी मानने लगता है । अत केरल-संस्कृति का परिचय पाने के लिए उस प्रदेश की प्राकृतिक भोगोलिक ऐतिहासिक सामाजिक धार्मिक साहित्यिक एवं कलात्मक पृष्ठ-भूमि का अध्ययन करना परम आवश्यक है। सब से पहले हम केरल का भोगोलिक एवं प्राकृतिक परिचय पाने का प्रयत्त करें ओर उसके पश्चात अन्यान्य विषयों पर यधास्थान विचार-विमर्श करें जिससे केरल की जन-संस्कृति का समग्र रूप समझना संभव हो सके ।




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