हमारे आराध्य | Hamare Aaradhya

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Hamare Aaradhya by बनारसी दास चतुर्वेदी - Banarasi Das Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न. सुख जप करनेका सौभाग्य हमें प्राप्त हुमा था--श्राचायंवर गीडीज़ श्र समाज- सेवी कागावा । हाँ रोमाँ रोलाँसे कछ पत्रव्यवहार श्रवश्य हुभ्ना था श्रौर उनके हस्तलिखित तीन पत्र हमारे संग्रहालयकी भ्रमूल्य निधि हूं। ए० ई० को प्रशंसा हमने दौनबन्धु ऐण्ड्रजसे सुनी थी श्रौर उनकी पुस्तक राष्ट्रकी आ्रात्मा ( बा 101005] 300 ) वर्षोसे हमारा स्वाध्याय-ग्रन्थ रही है । स्टीफन स्विंगने हमें गिरफ्तार किया सन्‌ १९३५मे श्रौर तबसे हम उनके प्रचारक ही बन गये है वया ही भ्रच्छा हो यदि हमारे देवमें एक गोर्की-रोलाँ-स्विग परिषद स्थापित कर दी जाय जो इस त्रिमतिकी अ्रमर रचनाश्रोको जनसाधारण तक पहुंचावे । यूरोपके महान साहित्यकार श्रौर ग्रालोचक जाजे ब्राण्डीजन अपनी पुस्तक उन्नीसवी नताब्दीके कलाकार ((.1०90/४८. . 5|1(05. 0 0101८ 0टा17 (८ पाए) की भूमिकामें लिखा हे जब हम जीवनके भिन्न-भिन्न समय पर अपने स्नेक दिनोके परिश्र मसे लिखे गए लेखोंका संग्रह करने बैठते हे तो उन्हें देखकर खेदपवक हमें पता लगता हैं कि समयकी तराजूपर हमारी ये रचनाएँ कितनी हल्की उतरी ट दूसरे व्यक्तियोंका अध्ययन अथवा चित्रण करते समय हम वस्तुतः अपनी प्रक़ृतिका ही चित्रण करते ह--मानों हम श्रपने हो जीवनचररितके कछ पृष्ठ जनताके सम्मुख उपस्थित कर रहे हों ग्रपने ही श्रस्तिस्वके कुछ अ्रंशोंको प्रदर्शित कर रहे हों। श्रन्य महानुभावोंका परिचय देनेके बहाने हम दरभ्रसल श्रात्मपरिचय ही देते ह--भ्रपने कायका श्रपनी ऑ्राराधनाका अ्रपनी रुचिका श्रपनी मेंत्रीका श्रौर झ्रपने यौवनका-- थोड़ा-थोड़ा इन सबका । समय-सागरकी सतहपर क्षणभरके लिए हमारा यह श्रात्मपरिचय दृप्टिगोचर होता हू श्रौर तत्पदचात्‌ वह रसातलमें विलीन हो जाता ह--स्वप्नकी छायाकी भाँति । इस पुस्तककों जनताके सम्मुख उपस्थित करते समय हमारे मनमें कछ इसी प्रकारके भाव उत्पन्न हो रहे हैं। चित्रकार वस्तुत शभ्रपना ही




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