राष्ट्रनिर्माता सरदार पटेल | Rashtranirmata Saradar Patel

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ द्वारा लिखे हुए ग्रन्थ .भी हमारे लिये सुलभ किये जिसके लिये हम उनके आभारी हैं । श्री ढाह्माभाई पटेल ने हमारी भेंट भी सरदार के कई पुराने साथियों से कराई । श्री डाह्याभाई पटेल ने इस ग्रन्थ की सामग्री के संकलन में हमको इतनी अगधिक सहायता दी कि हमने उनसे प्रस्ताव किया कि वह इस ग्रन्थ के रचयिता के रूप में हमारे साथ अपना नाम भी दे दें । किन्तु उन्होंने हमारे इस निमन्त्रण को नम्तापूर्वक अस्वीकार करते हुए निम्नलिखित उत्तर दिया । यह ग्रन्थ वास्तव में आपकी ही रचना है। भाषा तो पूर्णतया आपकी है। मेरा तो हिन्दी भाषा पर अधिकार भी नहों है । मेंने जो कुछ सहायता आपको दी है वह उस महान्‌ व्यक्ति का पुत्र होने के नाते दी है जिसकी स्मृति को स्थायी बनाने में आप योगदान कर रहे हें । कुछ व्यक्तियों का कहना है कि सरदार के जीवन चरित्र के प्रकाशित करने का समय--उनका तेरह वर्ष पूर्व स्वगंवास हो चुकने पर भी--अभी नहीं आया है। किन्तु हमारी तुच्छ सम्मति में यह विचार इसलिये ठीक नहीं है कि इससे उनके सम्बन्ध में ऐसी भ्यान्तियां फेलाई जा रही हें जसी मौलाना आज्ञाद अथवा डा० हुमायू॒ कबीर के नाम से लिखे हुपे इंगलिश प्रन्थ इण्डिया विन्स फ्रीडम द्वारा फंलाई गई हें । अतएव उनके जीवन चरित्र को पाठकों के हाथ में देने में अब भी बहुत विलम्ब हो गया है । सरदार १९४२ से लेकर १९४५ तक जेल में रहे । वह कांग्रेस कार्य समिति के सदस्यों के साथ अहमदनगर किले में दो वष॑ तक रहे । यह दो. वर्ष उन्होंने किस प्रकार व्यतीत किये इस सम्बन्ध में बहुत कम लिखा गया है । इस काल के उनके विचार उनकी दिनचर्या तथा उनके हास्य विनोद का कुछ भी वर्णन मिल सकता तो वह बड़ा उपयोगी होता । उनके अहमदनगर किले के साथियों में से आचायें कृपलानी नेहरूजी तथा श्री हरेकृष्ण मेहताब के अतिरिक्त आज अधिकांश व्यक्ति गुजर चुके हें । उन्होंने अपने वार्तालाप में इसका थोड़ा-सा उल्लेख करने के अतिरिक्त इस सम्बन्ध में कोई भी उल्लेखनीय रचना नहीं की है। यदि यह सामग्री मिल जाये तो वह साहित्य तथा इतिहास की अक्षय निधि हो सकती है । स्वर्गीय महादेव भाई देसाई ने जिस प्रकार महात्मा गांधी तथा सरदार पटेल की यरवडा जेल की घटनाओं की दैनिक डायरी लिखी है उस प्रकार की रचना तो निश्चय से ऐतिहासिक महत्त्र प्राप्त कर लेगी । भारत सरकार के खाद्य सेक्रेटरी तथा एक सीनियर आई०सी ०एस० आफिसर श्री के० एल० पंजाबी ने-जिन्होंने डा० राजेन्द्रम्साद की एक अच्छी जीवनी भी लिखी




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