सेवाग्राम | Sevagram

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Sevagram by घनश्यामदास विड़ला - Ghanshyamdas vidalaपं. सोहनलाल द्विवेदी - Pt. Sohanlal Dwivedi

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पं. सोहनलाल द्विवेदी - Pt. Sohanlal Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तुम बोल उठे युग बोल उठा तुम मोन बने युग मौन बना कुछ कम तुम्हारे सचित कर घुगक्म जगा युगध्म सतना युग - परिवर्तक युग - सस्थापक युग - सचालक हे. यूगाधार युग - निर्माता युग- सूत्ति तुम्हे युग युग तक युग का मसस्कार तुम युग युग की रूढ़ियाँ तोड रचते रहते मित नई सृष्टि उठती. नवजीवन.. की... नौवें ले नवचेतन की दिव्य - दृष्टि धर्माडबर के. खँडहर पर कर पद - प्रहार कर धराध्वस्त भानवता का. पावन सदिर निर्माण कर रहे सुजन - व्यस्त बदते ही. जाते. दिम्विघयी गढ़ते तुम अपना रासराज आत्याहुति . के मणि-भाणिक से मढते जननी का स्वर्णताज़ 1 तुम कालचक्र के रक्त सने ददातों को कर से पकड़ सुदृढ़ मानव को दानव के मसूँह से ला रहे खीच बाहर बढ बढ़ टर




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