लौगाक्षि - गृह्य - सूत्राणि | Laugakshi-grahya-sutras
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
33.97 MB
कुल पष्ठ :
448
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)देवपाठकृतभाप्योपेतानि । ७७ दृध्मसि । यथैन॑ जरसं नयज्योक श्रो- त्राय जागरज्योकू श्रोत्रडधघिजागरदिति ग्राह्मणस्य ॥ ८ | एच ब्राह्मणस्य परिघापने सख्ः सोसप- दाछ़िज्ञादितरयो सोमसंबन्घधाभावात् यदि राजन्यं बेश्य॑ वा थाजयेन्यग्रोधततीराहु्य ताः संपिष्य दश्युत्सृज्य तदसे भष्ष॑ प्रयच्छेन सोममू इति श्रुतेः ॥ हे माणवक एतद्वासः परिदुध्मसि इदन्तो मसि (9१४६ ) इतीदन्तः परिदुष्म परि- घापयामः सोममेव चेमें परिघापयामः त्वया अनेनोपनयनद्वारण सोम एव हि परिहितों ध्रतो वेद्स्तद्थाभ्यासद्वारेण भविष्यति । कि- म्थ परिधापयाम ः । तेजसे महें महते पू- जाथे वा मह प्रूजायामित्यस्थ रूपम् । श्रो- त्राय श्रूयते इति श्रोघ्र वेद तद्थ वेदवे- दाघोधघिगमाय अथवा श्रोज्ाय श्रोचयुक्ताय शिष्याय वेद्पारट्टमस्त्वसुपाध्यायः श्रोत्रियेभ्यो हितः सम्पयखेति तात्पयंसू । यथेन॑ वासो-
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