भारत का भाषा सर्वेक्षण | Bharat Ka Bhasha Sarvekshan
श्रेणी : भारत / India, भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52.21 MB
कुल पष्ठ :
548
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खरीददार ने आगे माल नहीं लेना चाहा । खड़िया की कम्पनी ने उस सौदे के दायित्व से बरी करते हुए एकमुश्त राशि लेना स्वीकार कर लिया । इस प्रकार प्राप्त हुई राशि आयगत प्राप्ति होगी क्योंकि यह प्राप्ति उस होने वाली आय के बदले में है जो सौदा समाप्त न होने की हालत में उसे प्राथ्त होती रहती । व्यय (छडूटा्पा €) पु जीगत व्यय आयगत व्यय से बिलकुल भिन्न होते हैं। परन्तु यह भेद कि कोई व्यय विशेष पूँ जीगत व्यय है अथवा आयगत निश्चित करना कोई सरल का नहीं है । वे सभी व्यय जो व्यापार की पूंजी सम्पत्ति के लिए किये जाते हैं पूंजीगत व्यय कहलाते हैं । किसी व्यापार की करयोग्य लाभ की राशि ज्ञात करने के लिए ऐसे व्यय की राशि को घटौती के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता परन्तु समस्त आयगत व्यय ऐसे लाभ की गणना करने से पूर्व घटा दिये जाते हैं । वहुत-सी दशाओं में तो दोनों का अन्तर स्पष्ट रूप से नहीं जाना जा सकता परन्तु फिर भी दोनों के अन्तर को जानने के लिए व्यापार की प्रकृति व्यय का उद्देश्य सौदे का सही स्वरूप आदि बातों को जानना अति आवश्यक है । पूँजीगत एवं आयगत व्यय के अन्तर को जानने के लिए निम्न सिद्धान्तों का प्रयोग किया जा सकता है-- (१) जब कोई व्यय व्यापार के लिए किसी स्थायी सम्पत्ति अथवा कोई स्थायी लाभ प्राप्त करने के लिए किया गया है तो वह पु जी व्यय होगा जँसे स्थायी सम्पत्ति को क्रय करने का व्यय अथवा किसी लाइसेंस या एजन्सी प्राप्त करने में हुआ व्यय । किसी व्यापारिक चिह्न (एए86८6 वधाह) को रजिस्ट्रशन कराने का व्यय आयंगत व्यय है । व्यापारिक चिह्न की रजिस्ट्री की अवधि ७ वरष॑ तक रहती है उसके बाद यह पुनः बढ़वाई जा सकती है । इसलिए इसमें स्थायित्व नहीं है जिसका होना पु जी-व्यय कहलाने के लिए जरूरी समझा जाता है । (२) किसी करदाता द्वारा स्वयं को किसी पूँजी-दायित्व (८0021 धिधण॥ ) से मुक्त करने के लिए किया हुआ भुगतान पूँजीगत-व्यय होता है जवकि करदाता द्वारा स्वयं को किसी वाषिक आयगत भुगतान (2700) रि५८ाप्& रिघ्ण£01) के दायित्व से सुक्त करने की दृष्टि से किया गया. भुगतान आयगत व्यय कहलायेगा । मं उदाहरणाथ--एक कम्पनी ने एक नये जहाज के निर्माण और क्रय के लिए ठका दिया । व्यापार में उस समय भारी मन्दी आ जाने और यह दिखाई देने के कारण कि जहाज चलाने से लाभ नहीं हो सकेगा उस कम्पनी ने निर्माताओं को कुछ रकम देते हुए इस ठेके को रद्द करा लिया । इस रूप में जो रुपया दिया गया वह पूंजीगत व्यय हैं क्योंकि यह राशि कम्पनी द्वारा पूंजी दायित्व (अर्थात् जहाज के लिए भुगतान करने) से मुक्त होने के लिए दी हुई है ।
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