सूर्य का स्वागत | Surya Ka Swagat

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सूर्य का स्वागत  - Surya Ka Swagat

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about दुष्यन्त कुमार - Dushyant Kumar

Add Infomation AboutDushyant Kumar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अनुरक्ति जव जब इलथ मस्तक उठाऊँगा इसी विह्ललता से गाऊँगा । इस जन्म की सीमा-रेखा से छेकर बाल-रविं के दुपरे उदय तक हतप्रभ अ्राँलों के इवी दायरे में खींच लाना तुम्हें में वार बार चाहूँगा सुख का होता होगा स्ललन दूख का नहों अ्रघर-पुष्प होते होंगे-- गंघ-हीन निष्प्रभाव छू. . .खोखूले. . .अश्नु नहीं गेय मेरा रहेगा यही गर्व मुग-पुगान्तरों तक मैं तों इन्हीं दाब्दों में कराहूँगा । कैसे बतलाऊँ तुम्हें प्राण छुटा हूँ तुमसे तो क्या ? वाण छोड़ा हुमा भटका नहीं करता . लगूंगा किसी तट तो-- कहों तो कचोटँगा ठहरूँगा जहाँ भी--प्रतिध्वनि जगाउँगा । तुम्हें में बार बार चाहूँगा भ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now