भगवान की लीला | Bhagwan Ki Lila
श्रेणी : धार्मिक / Religious, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.21 MB
कुल पष्ठ :
139
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about तपस्वी अरविन्द घोष - Tapasvi Arvind Ghosh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)योगका रूप प्भ रूपसे जगत्में विराजमान होना चाहते हैं विश्वमं प्रेस ज्ञान ओर शक्तिकरा विस्तार करना चाहते हैं उस समय ये भारतवषक सु ज्ञान प्रेम और शक्तिको उद्लोधित कर देते हैं जिससे वह अपनी शक्ति बुद्धि और शेच्छासे समस्त संसारकों ज्ञान और प्रमसे दीक्षित करता है और भगवानकी उस लीलाका अधिकारी बनता है । मगवानकी प्रेरणासे हो भारतवर्ष इतने दिनों तक सता पड़ा रहा। भारतवषके ऋषि मुनि और योगीगण संसारके सम्पूर्ण ज्ञानकों अपनेमें बटोरकर समाधिस्य होकर आनन्दकी चिन्तामें संलझस रहे। परम भक्त तथा अनुयायी शिष्यों ओर उपासकोंके साथ इस विश्वव्यापी आतंकके समयमें वे लोग शगिरिकन्द्राओंमें अथवा निजन बनमें परमानन्दकी _ चिन्तामें समय बिता रहे थे। सहसा भगवानकी प्रेरणासे उनका शादेश पाकर वे. महघिंगण विश्वकों सच्च ज्ञानसे आलोकित करनेके निमित्त इस देशमें सच्च ज्ञानका प्रसार करनेके लिये आविशाजे हैं। इसीसे आज स्रुत निर्जीव और प्राणहीनूारह फिर जाग उठा है। क्षीणकाय दुबंढ शरीर रक्तमज्ञा-
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