बिरहा | Birha

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Birha by बाबू राम कृष्ण वर्म्मा - Babu Ram Krishn Varmma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रुप ) द०यमर-पराससिलािगवकट री जनक /पगममनिशनगयंतय गए कइयां आधा मरद से बुढ़वा बेराम .. ससुर भसुर छोड़ बचें केतने माह । नहके करठें बदनाम क ॥ देर । ं अनुशयाना | जिस स्वी का पर एपरुष मिलन का संकेत स्थान नष्ट ं | दो जाये उसे श्रतुशयाना कहते हैं जन ं |. सनहू उजारें गुइ्यों उखियों उपारे दे | किंसनवन के तनिको न हत । कवनो परनवा न बेदवा बखानें अर- | हुरिया क काटो जनि खेत 1 ॥ इुच ॥ नर इस संसार में धो पलों के जिसका आधा भाग | नदी ताल इत्यादि से रुका है जो बरी है उसमें भी आ- | | घेडी पुरुष इं धो स्त्रियां उन आे पुषुषों में भी झआाघ ं लुड़क बूढ़ आर बोमा रइ तिस में भो ससुर भसुर को छोड़ | दर बाकी बचक्ी कितने गये जो सुक्ते कुलखटा कुलटा कई | | कर नाइक बदनाम करते हें ॥ मु जेसे पोपल और | | तुलसौके हक काटने कौ मनाहों डे वेसे दी सन और अर- | छुरइत्यादि के काटने को मनादो स्यों नं को | कक. कं




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