भारत में अंग्रेजी शिक्षा की समस्या | Bharat Mein Angreji Shikshan Ki Samasyaen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24.78 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामेश्वर प्रसाद गुप्त - Rameshwar Prasad Gupta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ भारत में श्रंग्रे ज़ी-शिक्षण को समस्याएं प्रयोग करके शधिक सुन्दर वातावरण उत्पन्न करके श्रघिक विशेषज्ञ तथा शिक्षाकार्य-कुशल श्रध्यापकों की नियुक्ति करके श्धिक सतकता-पू्वक योग्य तथा रुचि रखने वाले विद्यार्थियों का चुनाव करके श्रौर श्रधिक सुचारु कक्षा-परिस्थिति शिक्षण-सामगय्री तथा पाथ्य-पुस्तकों श्रादि के योग से । स्वतन्त्रता-प्राप्ति के उपरान्त इस विघमता की तीव्रता बढ़गई है घटी नहीं । एक बात ुल्ल अप्रत्याशित तथा विचित्र घटित हुई है--वह यह है कि अरे ज़ी-शिक्षक के प्रति वह भय तथा घृणा का भाव धीरे-घीरे लोप होता जा रहा है परन्ठ उसकी प्रतिष्ठा कुछ बढ़ ही गई है कम नहीं हुई | यह नहीं कि उसे किसी से श्रधिक योग्य समभक कर कुछ बड़ा पद या अधिक वेतन दिया जाय प्रत्युत उसकी माँग अधिकाधिक बढ़ती जा रही है । पिछुले दो-तीन वर्षों के विज्ञापन उठा कर देखने पर पता चलता है कि शिक्षकों की श्रधिकाँश विज्ञापित झाचश्यकताएँ अर ग्रे ज़ी मरे जुएट तथा पोस्ट -अ जुएट को प्राथमिकता देने का वचन एवं झाश्वासन देती हैं। इस दृष्टि से शरँशे ज़ी-शिद्क को डरने की श्रावश्यकता नहीं । उसकी स्थिति सदावत् ठोस तथा सुरक्षित है और भविष्य उर्ज्वल है । लेकिन साथ ही उसको श्रपना काय॑ कुछ श्रधिक कौशल-पूवक सम्पन्न करना पड़ेगा । समय की कटौती वातावरण की कमी बाह्य प्रकट पारितोषिक का अभाव श्रौर सहायक परिस्थितियों की समाप्ति--इन सब तत्वों से उत्पन्न खाई को अपने कार्य-कौशल द्वारा तथा अधिक मितब्ययशील एवं उपादेय विधियों का प्रयोग कर के ही पाटना पड़ेगा | किन्ठु श्र थ्रेज़ीशिक्षक को हृताश होने की झ्ावश्यकता नहीं | अधिक सुविकसित मानसिक स्तर के छात्रों से काय करने का झ्वसर उसे प्राप्त होगा । वे छात्र श्रब झवस्था में तीन वर्ष अधिक बड़े तथा समझदार होंगे। साथ ही माठमाषा पर उनका पर्याप्त श्घिकार हो जुकेगा श्र इन श्रनुभवों का उपयोग नवीन भाषा सिंखाने के कार्य में कर लेने में दी श्र मरे ज़ी-शिक्षक की कला को वास्तविक सफलता है । की हु... हू... जी
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