अथर्ववेद भाष्ये | Atharved Bhashy

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Atharved Bhashy by Kshemakarandas Trivedi - क्षेमकरणदास त्रिवेदी

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पंत मा पश्यति प्रति . झा पर्पुत्रासों झ्ापूर्णों झास्य घ्ापा झम्ि घर शापों अग्रे विश्घ ब्यापों झग्नं दिव्या _ झापों झर्मान्मा ब्ापों न देवी रुप व्ापो न सिन्धुम बापों निषिश्वन्न झापो सद्रा घृत आपो मौषभी ापों यद्टरतप आंपो यंद्वस्तेज झापों यड्डोईचिं शाौपों यद्वों इरस्ते श्ापों थट्ठः शोखि व्रापो चर्सं ज्नय . झापों विधुद्सं आपो हिप्ठापयो झाप पूणीत भेषजं ापपघेतीमं लॉक था प्र च्यवेथा का प्रत्यज्ञ दाशुषे _ झा प्र दब परमस्था - झाधुषायन्मघुन झाचयों अनावयों श्ायूत्या सद्दजा आमखणकों सण शा मध्चों झस्मा झामन्ट्रेशिन्द झा मापुष्ेच .. शा सारक्षतू प्ण यो माउचाइव आमिनों नितति छा पश्थति प्राध रद्द ने प्‌ २ रु २. रहे २ ्द्ड ः पे ४ कई छा हूढ देकर दी ० दा बट. अं कि ढ़ कौ. ँ ४ ५७७ ) का दा-2 2 अाद# 200%.5८कि खिमसंविरिए राज ससाधिदकीजअसातिकानलालरामिराकतागिद कर हु | (१ ले री जा ड्छ ए दए कि. ही कट लछे ए हद छ दी हे डरे सिर था थे घने सरस्व आामे मदच्छतमि आ में सुपक्के श्ायत्पतन्त्येन्य | झांयदूडुबः शत आना ले पलपल या + दर वि श््रायनेते परायणु भायन्ति दिवः ऑयसगन्त्संचत्सर अयमगन्त्सविता शयिमगन्पणु श्ायमगन्युचा छा ययाम सं ्रायचनेनतेजनी आयात पितर घायतु मित्र आयात्विन्द्र .... अायाइि सुषुमा व्ायाहि सुषुमा श्रायाहि सुषमा ्ायुरस्मे घट दायुर स्यायुमें ायुद्द झायुदा झथे ायुयन्ते शरति झायुषि इवायुः श्रगयुश्ध रूप ये ायुषायुष्कतां शायुषे दवा चचंसे ायुषो 5खिं परत. ायुष्मतामायु झायूथेव जुमांत आया चघर्माणि ना णो छुदिनिश शायं यो पुश्मिर आय विशुन्ती क्ज.. के. कं. जे इक हर डी. हे जछ दा छत उचक ७ ई5 की. जि. कम जीत है... जुडी कि डे म्छि रन ५ ड्ै हि हा ं कल छ है ता दी हुक री इ्द दी हि पू मी. कि... दे. ता. दी इ ३ इक थक मंडी. ९3 किए. हज दएं. हे ड् अचछे दा. की




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