हिन्दी - साहित्य में सरस्वती पत्रिका का योगदान | Hindi - Sahitya Me Saraswati Patrika Ka Yogdan

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Hindi - Sahitya Me Saraswati Patrika Ka Yogdan by अंजू चतुर्वेदी - Anju Chaturvediरुद्र देव तिवारी - Rudra dev tiwari

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अंजू चतुर्वेदी - Anju Chaturvedi

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रुद्र देव तिवारी - Rudra dev tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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10 हिन्दी का पहला फा उदत मार्तण्डी ३० मई १८२६ ईँ० कीं निकला । मारतीय नवजागरण का आरम्म कठक्ते से ही हुआ । कक में जीविकार्णजन के छिर हिन्दी माषा-माषी मी रहते थे उन्हीं में कानपुर निवासी पं० युगलकिशौर शुक्छ मी थे । १६ फरवरी १८२६ ई० कौ सरकार ने उन्हें उदृत मार्तण्ठीं नामक प्र निकालते का अधिकार पत्र दिया था 1 उदत मार्तण्डी की अल्पकाछीन सफलता आर लोकप्रियता के कारण अन्य व्यक्तियों को मी हिन्दी में पत्र निकालते की प्रैरणा मिली 1 राजा राममौहनराय ने उग्रेजी हिन्दु हेरलल्‍्डो को देशी रुप मी दिया । बंगठा हिन्दी और फारसी का मिठाजुढा यह पत्र बंगदुत कहलाया । बंगदुत साप्ताहिक कै प्रथप वर्ष के सम्पादक नीठरतन हाठदार थे । इसका पहला अंक १० मई १८२६ ह० को निकला था । बंगदुत अल्पायु निकला | १८४४ हं० मैं बनारस अखबार का प्रकाशन हुआ । हिन्दी प्रदेश से निकले वाछ़ा यह पहला हिन्दी फा माना । बनारस अखबार हिन्दी फार होने पर भी भाषा की दाष्ष्टि सै उर्दू का ही समफा जाना चाहिर । उसमें प्रकाशित हौते वाढ़े ठेख देवनागरी छिपि में छपते थे अवश्य किन्तु इसकी माषा उर्दू रहती थी । इन सबका उचरदा यित्व अखबार के मालिक शिवप्रसाद सिताऐहिंदि पर था जौ हिन्दुस्त।वी नामक की नहीं माषा चलाने के पक्षपाती थे तथा जिनकी निज की भाषा हिन्दी सै अधिक उद हौती थी | १८५० हँ0 मैं बनारस सै बंगला माषा-माषी तारामीहन मैत्र नै. सुवाकरी का प्रकाशन किया 1 इसकी माषा बनारस अखबार सै कहीं अच्छी होती थी । यह हिन्दी आर बंगढ़ा दोनों मैं प्रकाशित हौता था |]




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