मार्कण्डेय पुराण एक समीक्षात्मक अध्ययन | Markandeya Puran Ek Samikshamatak Adhyayna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16.94 MB
कुल पष्ठ :
217
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जया कुमारी पाण्डेय - Jaya Kumari Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूत जी का सभी पुराणों के वक्ता के रूप मे चित्रण तो मिलता है यहाँ तक कि उनके महत्व को बताने के लिये सूत जी की उत्पत्ति कैसे हुयी इसका भी वर्णन पुराणों मे किया गया है। यद्यपि इस विषय मे कुछ मतभेद है। भागवत्पुराण के अनुसार - विलोमजोइपि धन्योइस्मि यनमा पृच्छथ सन्तमा मनुस्मृति के अनुसार - क्षत्रियात् विप्रकन्याया सूतो भवति जातित | वैश्यात् मागधवैदेहौ क्षत्रियात् सूत एव तु। 1 क्षत्रिय पुरुष एव बाहाण कन्या से सूत की उत्पत्ति हुयी यह भी कहा जाता है कि राजा पृथु के अग्निकुण्ड से उत्पन्न होने से सूत नाम से प्रसिद्ध हुये। सूत के पुत्र सूत उगश्रवा सौति के नाम से प्रसिद्ध है। सूत का कार्य - पुराणों मे सूत के कार्यों का भी उल्लेख प्राप्त होता है। वायुपुराण के अनुसार सूत का कार्य वेदाध्ययन धर्म का उपदेश जनता को देना धर्म का प्रसार करना पुराणों की कथा को सुनाना पठन-पाठन करना ही इनका कार्य था। ० वशाना धारण कार्य श्रुताना च महात्मनाम्। इतिहास पुराणेषु दृष्टा ये ब्रह्मवादिमि | मार्कण्डेय पुराण मे भी सूत जी को पुराण वक्ता के रूप मे दर्शाया गया है- कुष्णाजिनोत्तरीयेषु कुशेषु च ब्रसीषु च। सूत च तेषा मध्यस्थ कथयान कथा शुभा 11 1. भागवत पुराण 10/78 /24 मनुस्मति 10/11 //17 वायु पुराण 132 मार्कण्डेय पुराण 6 / 26 वि (्ठ | 9)
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