जनपद इलाहाबाद में सिंचाई एवं कृषि उत्पादकता का परिवर्तन शील प्रतिरूप | Janpad Allahabad Me Sichai Evam Krishi Utpadakta Ka Parivartansheel Prtiroop
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37.89 MB
कुल पष्ठ :
285
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है | इस प्रकार उत्पादकता के आधार पर विश्व को विकसित अर्द्ध विकसित तथा विकासशील आदि प्रदेशों में सीमांकित किया जा सकता है और इन क्षेत्रों के विकास हेतु योजना बनाई जा सकती है। विश्व स्तर पर कृषि उत्पादकता से सम्बन्धित अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये गये है इनमें प्रमुख निम्न है - (1) प्रो0 एम0 जी0 कैष्डल 1935 (2) प्रो0 एल0 डी0 स्टैम्प 1958 (3) प्रो0 एम0 सफी 1960 एवं 1967 (4) प्रो0 सप्रे एवं देशपान्डे 1964 (5) एस0 एस0 भाटिया 1964 (6) प्रो0 जी0 वाई0 इनेडी 1974 (7) बी0 एन0 सिन्हा 1968 (8) प्रो0 जसवीर सिंह 1974 (9) प्रो0 माजिद हुसैन (10) डॉ०0 बी0 वी0 सिंह और प्रो0 प्रमिला कुमार जी आदि मुख्य हैं | इन दिद्वानों ने कृषि उत्पादकता सम्बन्धी अनेक महत्वपूर्ण अध्ययनों के द्वारा उत्पादकता को बढ़ाने एवं इसके आंकलन हेतु विभिन्न प्राविधियों का उल्लेख किया है। उपरोक्त विद्वानों के अध्ययनों के आधार पर ही कृषि उत्पादकता को निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है। कृषि उत्पादकता का अभिप्राय किसी इकाई या प्रति हेक्टेयर क्षेत्र की उत्पादित मात्रा से है। अतः उत्पादकता प्रति हेक्टेयर उपज का द्योतक है जबकि उर्वरता मृदा की वहनीय शक्ति है जिसके आधार पर उत्पादन की मात्रा में वृद्धि एवं हास होता रहता है। 1.5 पिछले अध्ययनों का इतिहास कृषि विकास सम्बन्धी अध्ययन कृषि-वैज्ञानिकों कृषि-अर्थशास्त्रियों तथा भूगोलविदों के द्वारा अपने अपने ढंग से किया जाता है। इस विषय पर पश्चिमी देशों में कमबद्ध अध्ययन फार्मस्तर पर हुए हैं तो कुछ अध्ययन जिला स्तर पर कुछ अध्ययन क्षेत्रीय स्तर पर किये गये हैं तो कुछ राष्ट्रीय स्तर पर तथा कुछ महाद्वीपीय स्तर पर केन्द्रित है। भूगोलविदों द्वारा - कृषि
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