महाकवि भूषण | Mahakavi Bhushan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16.55 MB
कुल पष्ठ :
206
श्रेणी :
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No Information available about पं. भगीरथ प्रसाद - Bhagirath Prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ महाकवि भूषण थे बरन् यह था कि उन्होंने शिवाजी के श्राद्श पर राष्ट्र का सगठन किया था । क्योकि इसी छुन्नपति शिवाजी ने दक्षिण में श्औौरगजेत्र के छुक्के छुडा दिये थे । इसके सरदार एवं सिपाही शिवाजी के श्रातक से ऐसे थरथर कापते थे कि दक्षिण में जाने का नाम नहीं लेते थे । इसीलिये वे उसे ईश्वर का अवतार मानने में भी नहीं हिंचके थे । भूषण छन्नपति शिवाजी के दरबार में कदापि नहीं थे उनका जन्म ही शिवाजी की मृत्यु के एक वर्प पीछे हुद्रा था श्रतः उक्त किविदन्ती नितान्त अनर्गल और मिथ्या है जिसने भूपण कवि की महत्ता को ही लौप कर दिया है साथ ही उनके अत्यन्त उच्च कोटि के महत्वपूर्ण कार्यों को एक दूसरा हो रूप दे दिया गया है । इस प्रकार से पिछले २४५०-३०० वर्ष के तज्ञानान्धकार ने वास्तविक इतिहास पर मोटा पर्दा डाल दिया है अन्य महाकवि तुलसी सूर श्रादि के विपय में भी यद्यपि श्नेक अ्रमपूर्ण बातो के फैल जाने से यथाथंता लोप-सी हुई दिखलाई देती है । पर महाकवि भूपण के विपय में तो यह बात श्रौर भी अधिक विस्तार से की गई है । इन्हीं किवदन्तियों के सहारे हमारे चरितनायक का चित्र बिल्कुल उलट दिया गया है जिसमें सत्य-मावना का बहुत ही थोड़ा श्रश शेप रह गया है | इसी कारण से जब सन् १६२२ ई० में महाकवि भूपण पर मेरा प्रथम लेख नागरी प्रचारिणी पत्रिका में प्रकाशित हुमा तो पुरानी शैली के साहित्यको मे एक उथल-पुथल-सी मच गईं । उन्होंने उन्हीं किवदन्तियों का सहारा लेकर नवीन खोज का नव निर्मित भवन ढहा देना चाहा । परन्ठु उस झन्वेपण का आधार सत्य श्र ज्ञान को पक्की नीव पर आश्रित था । मतिराम कृत दत्त कौमुदी की वंशावली ने किवदन्तियो की कल्पित इमा- रत को एक ही धक्के में भूमिसात् कर दिया । यह विवाद २५ वर्ष तक बराबर चलता रहा । जिस से झनुसघान के सहारे भूषण के जीवन-चरित्र को एक बिल्कुल नया रूप मिल गया । वादे वादे जायते तत्व बोध की कहावत के अनुसार भूषण कवि पर छिडे विवाद ने उनके विषय में फैले हुए भ्रम और श्रज्ञान को बहुत कुछ दूर कर दिया ।
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