कैलास मानसरोवर दैनन्दिनी | Kailash Mansarovar Dainandini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.15 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व्यवस्था की चर्चा होती थी । हमारे परिवार से उनका अटूट सम्बन्ध रहा है । मुझे भी उनसे शुद्ध स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहा । स्व० सरला बहन के साथ १९४५ में अंग्रेजों ( सरकार ) की पकड़ में न आने को स्वयं स्वतंत्रता की भावना प्रचार प्रसार की बात करने हमारे घर छिपने को आते थे । चार माह कस्तूरवा उत्थान मंडल लक्ष्मी आश्रम में उनसे सम्पर्क रहता था । उसके उपरान्त अपनी बहन स्व० कला पांगती के पड़ोस में सत्संग रहने से उनका सम्पर्क खादी ग्रामोद्योग के सेवाकाल से सदा बना रहा । उनकी भावाज में एक निर्भीकता की गर्जन थी । एक बार गाँधी जयन्ती में माइक के काम न करने पर मशीनरी वस्तुओं के आधार पर निर्भर न रहने की बात करते हुए प्रकृति की शक्ति पर विश्वास करने की प्रेरणा देते हुए भाषण जारी रखा । गाँवों एवं इलाकों में प्रभात फेरी ग्राम विकास और स्वच्छता के कार्यक्रम करवाते रहते थे । उनको श्रद्धांजलि अर्पण है । हेमा जंगपांगी द्वारा जिला उद्योग अधिकारी चलोली हमारे सार्वजनिक जोवन का संबल देने वाले बापू के आदर्शों पर अपना जीवन ढालने वाले रचनात्मक कार्यकर्ताओं में श्री शांतिलाल भाई जी हम पर्वतीय कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा के ख्रोत्र थे । हमारा उनसे सम्पर्क पूज्य सरला बहन जी के माध्यम से हुआ क्योंकि वे सरला बहन जी द्वारा पर्वतीय महिलाओं में नया जीवन फूंकने के लिए प्रारम्भ किए गए कस्तूरवा महिला . उत्थान मण्डल के प्रयोग में उनके निकटतम सहयोगी थे । ..... उन्होंने पहाड़ों को अपनी क्मभूमि बनाया और पहाड़ों की जनता के साथ इस प्रकार एकरूप हो गये कि पहाड़ों में जन्मे विरले छोगों के दिल ही उनकी तरह पहाड़ों की वेदना से बेचैन थे । मूलतः खादी कार्यकर्ता थे लेकिन उन्होंने आजादी की लड़ाई में और मुख्यतः सन् ४२ की अगस्त क्रांति में गाँधी आश्रम चनौदा को पुरी तरह झोंक कर यह सिद्ध कर दिया कि खादी के केन्द्र गाँधी के सत्याग्रहियों की छावनियाँ हैं । आजादी के बाद वे अधिकांश स्वतंत्रता संग्राम की सेनानियों की तरह सत्ताभिमुख नहीं हुए बढिक जनता के दुःख दर्दों को दूर करने और अन्याय के खिलाफ सत्याग्रह ही की अहिंसक प्रतिरोध की भावना जगाने में लगे रहे । वे अपनी वुद्धावस्था और हृदय रोग की चिता . न करते हुए भी वे हुर घड़ी लोगों की सहायता के लिए अधिकारियों के पास जाना
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