आयल व गैस इंजन | Oil And Gas Engine
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
60.77 MB
कुल पष्ठ :
552
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ११. ) का जोर एक जैसा रदद नद्दीं सकता इस वास्ते यह त्रुठियां दूर नहीं हो सकतीं । पानी से चलने वाला चक्कर बेशक अब वाटर टरवा- यन के रूप में बड़े-बड़े बिजर्त घरों में जैसे कि हाइडो इलैक्टिक मंडी (हिमाचल श्रदेश) और गंग कैनाल हाइडो इले क्टिक इत्यादि में बिजली की मशीनों को चलाने के लिए इस्तेमाल होते परन्तु यह लाभ उचाई से गिरते हुए पानी के समोप ही हो सकता है और वह भी उसी समय तक जब कि पानी को ससाइ लगातार एक जसी रखी जा सके । स्टीम अथात भाप से शक्ति तो काफी पैदा की जा सकती है. परन्तु एदीशंसी बहुत कम होती है । अथात भाप बनाने में जितना ई घन जलता हैं उससे तकरीबन एक तिहाई शक्ति प्राप्त होती है भाप की शक्ति तो लगभग १००० वर्ष पहले मातम हुई थी परन्तु इसका क्रियात्मक प्रयोग लगभग ३०० साल से झारम्भ हुआ है--इसमें बहुत से कोयले के बेकार नष्ट होने का पता लग जाने पर भी इसका प्रयोग होता रहा और अब भी हो रहा है । क्यों कि इसके मुकाबले पर दूसरी कोई विधि इतनी शक्ति पैदा करने की ज्ञात नहीं थी। उन्नीसवीं शताब्दी की समाधि पर इन्टरनल कम्चस्चन इन्जन का योग सफल हुआ तो स्टीम इन्जनों की करर कुछ कम हुई। इस प्रकार के कम्बस्वचन इन जिसमें मिट्टी का. तेल जला कर गरेस बनाई जाती है श्र उस फेलती हुई गैस की शक्ति को प्रयोग में लाया जाता है कोई नये नहीं हैं । सन् १६७३ में पहले पहले हालेन्ड के (07880. पिंप्टए6०३ ने इस सिद्धान्त
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