गुरुकुलीय आयुर्वेद परिषद् रजत जयन्ती महोत्सव | Gurukuliiya Aayurved Parishad Rajat Jayanti Mahotsav

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Gurukuliiya Aayurved Parishad Rajat Jayanti Mahotsav by जगन्नाथ प्रसाद - Jagannath Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_ ( र४ ) भावना स्वदेशी चिक्त्साि पद्धति के अवल्षम्बन को न्ावश्यकता उन्हें सुकाने का उच्यों करेंगे । अब हमारों दृष्टि. रा्ट्रीय शक्ति के प्रव्रिकास.. पर... केन्द्रित रही है । दम अनाथ और अनाश्रित अवस्था से उठ कर अपना ख्याल प्रकाशित करना चाहते हैं अपने विचार रूप को प्रकंट कर ना चाहते हैं । हमने एक हजार बषे से ठोंकरें सही हैं हमारे साथ साहनुभूति श्लौर समवेदना प्रकाशित करने का व्यभाव रहा है । हमारी आंखों के तेखते हम में देश सेवा का तत्परना और योग्यता के रहते हमारे पैसों से हमारे देश में एक ब्रिदेशी चिकित्सा पद्धति को दो सो वष से पुचकारा जा रहा है उसे दी स्वीकार करने के छिये देशके मस्तिष्को का भरा जा रहा है उसकी तड़क-भड़क श्र चुडलबाजी ने बढुता को मोहित कर रखा है । अब हम इस मद निद्रा का दूर करनेका प्रयत्न करेंगे। मोहमयी प्रमाद मद्रा को पीकर जा उन्मत या विचार ।वद्म में है उनका प्रमाद हमें दूर कंरना है । अपनी राष्ट्रीय चिकित्सा को राष्ट्रीय सम्पत्ति बनाकर उसे राट्रीय चकित्सा पद्धति स्वीकार कराना है। राष्ट्रीय स्वराज्य को सिद्धि कर देश के मेडिकल डिपाटमेंट और पत्र्षिक हेल्‍थ डिपाटमेंट ऋषशः अपने हाथों में ले उनका सूत्र सं चाछन करना है । समस्त देशवाजियों के साथ ही आयुर्वेद प्रेमियों ओर वेयों को भी ऐसा प्रथत्त काना है जिससे रा़रीय पक्ष अगले चुनाब में बिजयी हो । जिसके सामने हम अपनी योजनाएँ रख सकें अपना गोरब पूर्ण स्थान प्राप्त करने का उपक्रम कर सक । परमुखापेत्ती रहने से हमारी असली अकांक्षाओ्ओं की पूर्ति नहीं होगी । रा्ट्रीय भानाश्यों




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