उपनिषद्भाष्यम् [भाग 4] | Upnishad Bhashyam [Part 4]
Book Author :
Book Language
संस्कृत | Sanskrit
Book Size :
15 MB
Total Pages :
385
Genre :
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No Information available about मच्छङ्कराचार्य - Machchhankraacharya
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(Click to expand)थृ हि एन थ था ॥ चतुथा5ध६्याय री 2 क८ 2८2 टफ 22 22 लक शुफर युप्राणयोब्रेह्मण पादर्यध्या- हवा दि ता. | स पुरस्ताद्वाणत । अथेदानी तया नि दि साक्षाद्रहात्वेनोपास्थत्वायोत्तरमारभ्य- दि | ते । सुखावबोधाथा आख्यायिका 7 दि दि पक विद्यादानश्रहणविधिप्रदूशनार्था च | श्रद्धान्नदानानुद्धतत्वादीनां च विद्या- प्राप्तिसाघनत्वं प्रदचयत आख्यायिकया-- जानशतिहे पौच्ायण श्रद्धादेयों ब- हृदायी बहुपाक्य आस स ह सवेत आवसथान्मापयांचक्रे सबेत एव मेउन्न- मसत्स्पन्तीति ।। १ ॥ जानश्रुति जनश्रुतस्यापत्यम् । ह ऐतिद्याथे । पुत्रस्य पोत्र पीन्रायण स एव श्रद्धादय श्रद्धापुर सरमेव जाह्मणादिभ्यो देयमस्येति श्रद्धादेय । बहुदायी प्रभूतं दातुं शी छमस्येति बहु- दायी । बहुपाक्य वहु पक््तव्यमहन्यह्नि गृह यस्यासी बहुपा-
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