फायर एरिया | Fayer Eriya

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Fayer Eriya by इलियास अहमद गद्दी - Ilyas Aḥmad Gaddiराशिद अली - Rashid Ali

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इलियास अहमद गद्दी - Ilyas Aḥmad Gaddi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फायर एरिया 5 जानता । इसका पता लगाया उन लोगों ने जिन्होंने दोनों हाथों से हिंदुस्तान को लूटा था। यहां तक कि जमीन के अंदर की यह अथाह दौलत भी उनके हाथ लग गई। अंग्रेजों को इस बेशुमार दौलत की तलाश तब हुई जब उन्होंने हिंदुस्तान के सोने-चांदी के जखीरों को जहाजों में भरकर यूरोप पहुंचा दिया फिर कच्चे माल की खेप की खेप भेजनी शुरू कीं जैसे रोटी अनाज कीमती लकड़ियां और अन्य चीजें जिनसे यूरोप की औद्योगिक क्रांति हुई । फिर जगह-जगह की खुदाई के बाद पता चला कि छोटा नागपुर के गर्भ में ऐसे नायाब स्बनिज पदार्थों का खजाना दबा हुआ है। जमीन के कुछ ही अंदर पत्थरों के एक-दो परत के बाद कोयले की मोटी परतें मौजूद हैं। यह परतें जिसे सेम कहा जाता है कहीं-कहीं सैकड़ों फुट मोटी थीं । यह असीमित दौलत थी । एक दूसरा बड़ा खजाना था । अतः अंग्रेजों ने इस कोयले को निकालने का प्रबंध किया । छोटी-छोटी कंपनियां बनाई । ईस्ट इंडिया कोल कंपनी टर्नर मौरिसन एंड कंपनी ब्रायंड कंपनी और धीरे-धीरे यह कोयला जमीन से बाहर निकाला जाने लगा । बंजर जमीन कौड़ियों के भाव बिकी और सोना उगलने लगी । मगर वे लोग जो जमीन के मालिक थे या उन जमीनों पर आबाद थे उन्हें कुछ न मिला । उन्हें मिली तो सिफ॑ उनकी मेहनत जो उनकी रोटी का एक मात्र सहारा बनी । जिस जमीन को बारिश के पानी से सींचा जाता है उसे आदमियों ने अपने पसीने और खून से सींचना शुरू किया । फादड़े गैंते शावल और इन सब में भूखे बदहाल लोगों के कमजोर हाथों की मेहनत शामिल हुई । उन्होंने जमीन का सीना फाड़ डाला । चीर डाला पत्थरों के सिलों को । ऊपर का ओवर बर्डन हटा और कोयले की स्याह चमकीली सेम दिखाई दी। उन कंपनियों का भाग्य जगमगा उठा । नोटों की बारिश शुरू हुई मगर सिर्फ कोलियरी मालिकों के घर । मजदूरों को वही मिला चार रुपया आठ आना रोजाना पैंतीस रुपया हफ्ता और फिर वही एक हफ्ते की निरंतर मेहनत के बाद भूख का एक लंबा सिलसिला । ये सब कौन लोग थे? ये भूखे नंगे और जानवरों-सी जिंदगी जीने वाले लोग? ये स्थानीय लोग भी थे और ऐसे भी जो दूर-दूर के इलाकों से आए थे । अपना खेत अपना घर और इलाका छोड़कर । इनमें भूमिहीन लोग भी थे। चोर-उचक्के भी थे और ऐसे मासूम और निष्कपट लोग भी थे जिनकी मासूमियत पर फरिश्ते भी ईर्ष्या से भर जाएं। ला सब उस वीरान चटियल मैदान की तपती धूप में चट्टानों से जूझते लोग । कौन-सी चीज उन्हें यहां खींच लाई है? इन सारे लोगों की बस एक ही चीज समान है- खा भूख जो हजारों साल से या शायद अनादि काल से इंसानों की ड़ी मजबूरी रही है । यह भूख जो इंसानों को जानवरों जैसा मेहनत करने पर तैयार करती है और अमानवीय




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