आर्य सत्याग्रह | Aarya Satyagraha

Aarya Satyagraha by सत्यदेव विद्यालंकार - Satyadev Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2 दल्लीखेड़ में चलाया गया। इसका सुविस्तृत बन यथास्थान दिया गया हे। (४) २ सितम्बर १९४३४ को पहिली बार सारे देश में हंदराबाद दिवस मनाया जाकर झआार्यसमाज की शिकायतें श्रौर मांगें पेश की गद । उनकी ओर निजाम सरकार का साबंजनिक रूप से ध्यान श्राकर्षित किया गया । (४) निजाम राज्य द्वारा १३ सितम्बर १९३४ को दिये गये झाश्वासन श्रौर उसकी आयें नेताओं के निर्वाध प्रचार द्वारा की गई परीक्षा के बाद भी प्रचार-काये में बाधा डालीं जाने लगी । ायंसमाज चिटगोपा में पं० वंशीलालजी को प्रचार करने ्ौर आयंसमाज किशनगक् में पं० नरेन्द्रजी को साप्ताहिक सत्संग में ब्याख्यान देने से रोका गया । दोनों राय नेताओं की दृ्ता के कारण पुलिस को नीचा देखना पड़ा । (६) दिसम्बर १४३४ में अखिल भारतीय छाये महा- सम्मेलन करने के लिये श्याज्ञा मांगी गई । लेकिन स्वीकार महुई छोर न देदराबाद स्टेट झाये सम्मेलन करने की दी अनुमति दी गई । (७) जून १६३४ में निलज्गा-झायंसमाज की अब्ती का भीषण काणड हुआ । घीद्र के तालुकदार ने श्ञायंसमाज मन्दिर को गिरवा दिया हवन कुण्ड को भी नध्ट-भ्रष्ट करा दिया श्रौर वहां बचे हुए अखाड़े तथा समाज मन्दिर का सारा सामान जब्त कर लिया । समाज मन्दिर और अखाड़े के बारे में मुख्य श्रापत्ति थद्दी थी कि बे बिला इजाजत बनाये गये थे -बद्दां पुस्तकालय




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