मुगलों के अधीन सुबा अवध का एक सांस्कृतिक अध्ययन | A Cultural Study Of Suba Awadh Under The Mughals
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.31 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)44 विशेषकर घाघरा क्षेत्र के जिन्हे सरयू पार या सरवर के सरदार कहा जाता था। यह पूर्णरूप से शासन के प्रति निष्ठावान न थे। यह विद्रोही तथा अपराधियों को शरण देते रहे। लेकिन शाही सेना ने इनके विद्रोहो को व्यापक रूप नहीं लेने दिया | शाहजहाँ के शासनकाल के छब्बीसवे वर्ष मे अवध का शासन भार मिर्जा-उज-जमन शाहनवाज खान को सौपा गया जिसने बडी योग्यता के साथ इस पद पर कार्य किया तथा सूबा मे शान्ति व्यवस्था को बनाये रखा | शाहजहाँ प्रशासन के मामले मे दक्ष था उसके समय अवध मे कोई बडा विद्रोह नहीं हुआ। १७वीं शताब्दी के मध्य तक सूबा अवध समृद्धशाली सूबा बन गया था। सम्राट औरगजेब ने सम्पूर्ण मुगल साम्राज्य को राजनैतिक इकाई मे सगठित रखनेकी मुगल नीति को साकार करने हेतु जीवन पर्यन्त सघर्ष करता रहा। औरंगजेब के शासन के प्रथम वर्ष मे सूबा अवध का फौजदार इरादत खाँ मीर ईशाक को नियुक्त किया शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो गई। इस पद पर आजिम खान कोका को नियुक्त किया गया । १६७० ई० मे तरबात खान को अवध का शासक नियुक्त किया गया। एक वर्ष उपरान्त इस पद पर सादतखान नियुक्त हुआ । औरगजेब के शासन के प्रारम्भिक वर्षो मे सूबा की राजनैतिक स्थिति सामान्य रहीं। अन्तिम पच्चीस वर्षों में अव्यव्स्था का दौर शुरु हुआ। अबुल फजल - अकबरनामा भाग-३ पृ० ३४० ३७० ४६० ४६३ ग्राफ वॉलेटी (सम्पादक) लखनऊ-मेमोरिंस आफ ए सिटी दिल्ली १६६७पृ० १६ खान शाहनवाज- मासीर-उल-उमरा अनुवादक बेनी प्रसाद एवं बेवरिज कलकत्ता १६११ और १६५२ भाग-२ पृ० द८१ वही पूर्वोद्धत अनुवाद बेनी प्रसाद एव बेवरिज भाग-१ पृ० ३१२-३१३ ख़ान साकी मुश्ताद- मासीर- ए- आलमगीरी अनुवाद जे०्एन० सरकार कलकत्ता १६४७ पृ० ३१२-३१३
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