आधुनिक भारत के निर्माता धोंडो केशव कर्वे | Aadhunik Bharat Ke Nirmata Dhondo Keshwa Karve
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.25 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जी. एल. चन्दावरकर - G. L. Chandavarkar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुरुद का के परिवार 3. ._ स्वाभिमानी स्त्री ने दी-टूक उत्तर दिया हा वह महाराज है श्रौर उस खान- दान के है जो कुछ ही समय पहले कर्वें लोगों का केजदार था 1 तुम्हारे परिवार के लाखो रुपये झव भी महाराज के पास बकाया हैं । यह सुनकर भीकू श्रचरज में पड गया । उसे बडी निराशा हुई । उच्े लगा कि मेरे पिता जो इस समय कोरेगाव गए हुए हैं जरूर मुझे दक्षिणा ले लेने की इजाजत दे देते । केशोपत दूसरे दिन वापस भ्राए। जब उहे सारी बातें बताई गई तो सहोने भपने लडके से कहा कि तुम्हारी मा ने जो कुछ कहा चहू ठीक है । अपनी पत्नी के प्रतिष्ठापुण निणय से केशोपत का माथा ऊचा हो गया । छोटे लड़के घोड् ने यह सब सुना श्रौर देखा । उसने सावधानी से इन चातो को मन मे रख लिया । पेशवाम्ों के समय में पूना मराठा साम्राज्य की राजघानी थी । इसलिए सब भोर से खास तौर से कोकण से उद्यमी लोग वहां खिंचे चले भाटे थे । ऐसे हो लोगो में केशव भटट के पीर रघुनाथय भटट व्वें साम के दो भाई भी थे । उन लोगी ने पुना मे एक दुकान खोली । थोड़े ही दिनों मे दुभान चल निकली श्रोर उनकी घाक बब गई । उनके ग्राहकों में खुद पेदावा लोग भी थे । अपनी विद्त्ता के लिए केशव भट्ट का बड़ा सम्मान था । पेशवा ने उहें हटनोर नाम का एक गाव इनाम में दिया था । वे झ्रर्निहोभी थे प्रौर + घामिक कृत्यो में पुरोहित के रूप में बुलाए जाते थे । रघुनाथ भट्ट अधिक व्यावहारिक भौर व्यवसाय-वुशत्त थे । यद्यपि रोजगार घघे का लगभग सारा काम वह ही करते थे तथापि भाई के प्रति उनकी ऐसी भव्ति थी कि सब कुछ भाई के नाम से ही होता था । उन लोगो ने झपनी ईमानदारी शरीर अपने परिश्रम से बहुत घन इकट्ठा कर लिया था । उदोने भौर उनके दो हिस्सेदारो ने बड़ौदा के मराठा सरदार दामाजी गायकवाड को साढे छ लाख 1 झम्निहोनी--वहें श्राह्मण जो अपने धर में हमेशा यच की झग्नि प्रजज्वलित रखता है और नियमित रूप से उसमें हवन करता है
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