दंपति वाक्य विलास | Dampati Vakay Vilas

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Dampati Vakay Vilas by गोपाल कवि - Gopal Kavi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ कवि का संप्रदाय न. 7 कवि के पिता चतय मतानुयायी थे। पब्रजाम चंतय मत्त का घनिप्ट सबब रहा है । न्नज के अतेक स्थानों पर चतस्य मत और उसके आचाय एव भक्तों से सबंधित स्मनिचिन्ह चनमान हैं । इस दृष्टि से सधाकुड और वृन्दावन का नाम विशप उल्लेखनीय है । . गोपाठ -कवि का वध भी इसी सप्रदाय में दीसित था | इस कवि के समान अन्य अनेक कवि भी इस संप्रदाय से सबधित रहे है। बहुत में कवियों वो ब्रजभाषा माहित्य की समद्ध करने का स्ेय है। कियतु अन्य सप्रदाया के न्रजमापा कवियों की अपेक्षा इस संप्रदाय के कवियों वी सरया कम अवय्य है इस सप्रदाय के कवियों ने माधुथ भाव से सबधित वाव्य ही किया है .. गुपाल कवि की... रचनाभ में कुछ मे इस भाव की विवृत्ति अवदप है । समवन मान पचीसी रासपचा- ध्यायी जैमी इतिया मे माधुय वी _ फुहारों की सिहरन है । अय रवनाआ म ववि का वीद्धिक पक्ष ही अधिक प्रकट हुआ है । सभी रचनाओ में श्री वदावनधाम की महिमा का गायन अवर्य ह | कवि काव्य शास्त्र के अच्छे विद्वान ओर ब्रज-वूदावन के अनुपम अनुरागी थे । उहाने जहा काव्य के विविध अग। का दिस्तत विवेचन किया हैं वहा ब्रजभक्ति और है. प्रस्तुत ग्रंथ १1 १०-१२ य २. प्रभुदयाल मीतल चतय मत यौर प्रज साहित्य प ३१३ १ विपष विवरण के लिए देप्टव्य वहीं पृष्ठ 2४-१०५ ४ इस प्रकार के कविया में सुरदास सरनमोहन गहाधर भटट जस कविया का नाय स्मरणीय है भ श थीवृ वन धामानुरागावली में उसका वस्दावन प्रस बौद्धिक विवरण और अगसंघात क॑ सात फूट पढ़ने है ।




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