राजस्थान के एतिहासिक शोध लेख | Rajasthan Ke Yetihasik Shoudh Lekha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ शिछालेख गुहिल वे ५वें बशघर शीलादित्य का है । हा न प्रत्येक राजा का शासनकाल २० वर्ष मानते हैं । इस हिसाव से गुहिल का काले विष्स० ६२३ (५६६ ई० | आना चाहिये । लेगिन ऐसा प्रतीत होना है कि यह तिथि गलत है । हाल ही मे नगर गाव से वि० स० उ४१ का एक शिलालेख मतु पट्टवर्शी गुहिरों वा मिला १ है 1 इस शिलालेख में ईशानमट्ट उपेन्दमटट गुहिलि और थिनिक नामक रांजाओ वा उत्लख है । चाटसू के बालादित्य के शिलालेख में भी इन राजाओ का उल्लेख है और इन्हें स्मप्टत भतूपटट्चशी माना है जो गुहिल बधियों की एव एक दीखा है दस प्रकार से मतूं पदुट ईशान भदूट का पूर्वंज अवदप रहा होगा । इस्मे वदुत समय पूर्व गुहिल का समय हीना चाहिए जिससे कि यह वश चला है । अतएव भओोझाजी द्वारां मानी गई उसकी तिथि वि० स० ६२३ (५६६ ई०) अवदयमेव गलत हैं क्योकि उसने बदाज मतु पट्ट की तिथि दी उनकी सान्यता के अनुसार ६२१ वि० 1५६४ ई०) भा जाती है 1 अतएव इस तिथि धर पुत विचार करना आदश्यक है करपाणपुर के गुदिते + ।... कह्याणपुर जिसे शिलालेयों में किप्बिन्धापुरी कहा गया हैं ददयपुर से ४५ मील के लगमग दक्षिण में स्थित है। यहां से प्राप्त मूर्तियों के विवरण एवं कई लेख भी प्रकाशित होचुके है यहा गुहिल वशियी का अधिकार कब हुआ था यह वतलाना कठिन अवश्य है किन्तु यह सत्य है कि ७वी शताब्दी के प्रथम चरण में ही यहा इनता राज्य अवश्य हो चूवा था । पुरातत्ववेत्ता डा० डी० सी० सरकार राजा पद्र को मां गुह्दित वी मानते हैं जिसका एक छघुलेख ७३ी धाताब्दी के प्रारम्भ वा है जो हाल ही मे प्रकादित हुआ है. इस छेख जिजननकिलककटमनवकितद डक निविलिनकककन केला (3) क्लासिकल एज (मारतीय विद्या भवन वम्बई हारा प्रकाशित) पृ० १६० | मारत कौमुदी पृ० र७४-७६ दि) एपिय्राफिया इण्डिका भाग १२ पुर ३ से १७ हं। (6)... माग कैप पुर ५५ से ५७




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