एक कदम आगे | Ek Kadam Aage

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राष्ट्रीय पद ए लोला शर्मा मेरा और उसरा इतना ही सपकें रहा है कि कभी-कभी रात में घर आने के लिए हम दोनों एक साथ गली में प्रवेश बरते हैं । वह रात देर तक एक स्यानीय अखबार पा साध्य-सस्करण स को पर बेचता फिरता हैं और मैं टुयूशनें पढाता फिरता हू । अपनी गली मे जब हम दोनों एवं साथ घूसतें हैं तो वडी पुशी होवीं है। वह मुझे अपना रक्षव समझता है और मैं उसे । रक्षा ? चोर डाबुओ से नहीं । हमारे पास ऐसा कुछ नहीं होता है जिसके लिये चोर-डाकू अपना समय बर्बाद करें। हमे गली ने शेरी से डर तामता है वावजूद इसके फिं हमारे हाय मे लाठी होती है। लाठी तो होती है. पर चलाने का अधिकार नहीं है । क्योकि कानून था राज है जिसकी लाठी उसी मंस वाला नहीं है । गली मे वुत्तें हमे कुछ नही बहते है। उन्हे आपस में लड़ने से ही फुरसंत नहीं मितती । कभी-वभी हम दोनो निमाचरों को देखकर भौक पढ़ते हैं वि जब सब लोग सोये हुए हो तो शोर मचाने और आपस में झगहने वा अधिकार केवल वुत्तो को होना है । तुम लोग अपनी टूटी जूतियों की पदचाप से हमारा ध्यान क्यो भग करते हो । हमें डर लगता है आसपास की कोटठियी में रहने वाले धुत्ती से । दिन भर बे बच्चे रहते हैं भौर उनके मालिक खुले । रात मे मालिक बंध जाते हैं और वुत्ते खुले हो जाते हैं। ये कुत्ते भोरो पर बम और हम जंसे निशाचरी पर ज्यादा ध्यान देते हैं । शायद वे समझते हो कि उनके मातियों को गरीबों से ज्यादा श्वतरा हो । साज दूसरी रात्त में भी मैं अफेगा ही गयी से गुजर रहा हू। साथी या तो बीमार है था शेजगार के घटे दढा दिये होगे । तेजी से चलने और कोटियों राष्ट्रीय पशु / १४




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