दण्डी | Dandi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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3 काव्यादर्श बाव्यादश दण्डी की प्रथम कितु महान इति है। इसको उहहान कविया की शिक्षा बे लिए काव्यलक्षण वी व्याध्या मे रूप मे लिखा है । इसम तोन परिच्द्धेद हैं-- (1) प्रथम परिच्छेद मे मु्य रूप से ससार मे वाणी वी मडिमा का ख्यापन बाध्य रचना में दो विशिष्ट साग वदस और गौड़ तथा इन मार्गों वे प्राथभत देश गुणों के प्रवारो का विवेचन है. इसने साथ ही उस समय क्नि विन भापाआा मे बाध्य रखना को जाती रही इसवा उल्लेख है । गद्य औौर पद्य की दप्टि स काव्य के प्रकार महा हाव्य का सक्षण तथा अपन समय वी प्रसिद्ध उतिया का उल्लय भी ग्रथकार वरता है । (2) द्वितीय परिच्छेद में काय्य की शोभा वढ़ानवाले अलबारों (ठक्ति बैचिश्यो) का प्रयोगात्मक विवेचन ग्रथवार न विया है। उसमे उपसा रुपवा दीपक आद अलकारो व भेटा की लम्बी सूची दी है पर य भेद अलकार प्रकार बम हूँ माव्य प्रयाग हो अधिक है। ग्रथरार न मलकार प्रकारात्मव समस्त काव्य उम्तियों का मुख्य रूप स दो भागों म विभकत कर दंयन वी अपनों मौलिव दप्टि वा परिचय दिया है. य दो वग है--स्वभावाक्ति और वक्राकिति। भिभ द्विधा स्वभावाक्तिव क्रो वितश्चेति बाड़ मयम (काव्यादश 2/363) (3) ततीय परिच्द्धे से चिश्रमाग--यमक अलंकार चिश्ेवघ और प्रहलिवामों तथा उनके दोषों का निरूपण है। कतिपय समीक्षक एवं विद्वान बाब्यादश वे प्रथम परिच्देद वे विवचन और उसम ग्रथकार दण्डी की दप्ठि का आकलन करत हुए तुतीय परिच्छेद के विवेचन का उनवी प्रवत्ति से भिन मानते हैं। तथा ततीय परिच्छेन वा वाद में किसी के द्वारा लिखकर प्रक्षिप्त क्या मानते हैं जो काव्यादश वी अत्यत लोकप्रियता के कारण उसम जाड दिया गया । प्रथम परिच्छेद मे उदाहरण सहित कारिकाओ की सख्या 105 द्वितीय परिच्छेद में 368 है। दोना को मिलाकर वुल सख्या 473 होती है। इसके अतिरिक्त ततीय परिच्देद की कारिकामो की सरया 187 है। भागे का यादश में आये मौलिक विवेचना का सरल परिचय दिया जा रहा




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