भारत विभाजन और हिंदी उपन्यास | Bharat Vibhajan Hindi Upanyas

Book Image : भारत विभाजन और हिंदी उपन्यास  - Bharat Vibhajan Hindi Upanyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1857 बा विद्रोह विभाजन थी साम्प्रदाधिव पृष्ठभूमि | 15 थे वि मुसलमान वॉग्रिग के फिट आए । उनवे प्रयासों थे परिणामस्वरूप ही सयउज समझौता सभव हो सदा । सीग के सवनऊ झधिवेशन पद से भाषण बरते हुए जिया ते बहा था में जिडगी भर पवदा बांप्रेसी रहा हू और सवीणत्तावादों नारो बा भी में प्रेमी नहीं रहा हू लेविन मुझे लगता है वि मुसल- मानो पर अलगाववाद वा जो इत्जाम सगाया जाता है वह बिल्कुल अनुचित और बेतुवा है जब मैं यह देखता हू वि महान्‌ साम्प्रदापिव संगठन तेजी के साथ बढवर असगठित भारा से अस्थर वा शविताती नस्थर बन समता है। मुर्लिम सोग और पोप्रेग के मेताओ द्वारा परस्पर एज्ता स्थापित विएं जाने भी बेइतहा चाह ये य्ावजूद दोना पारियों में एकता ज्यादा समय तक न रहू सबी ओर आपसी अतविरोधो बे कारण दानों पाटिया अलग-अलग रास्तों पर चल पढ़ी । भारत मे मुस्लिम अल्पसम्यक के साथ पारसी सित ईसाई भी रहते थे लेषिन इहाने बभी भी अलग से साम्प्रदाधिक विस्म घो मागें सामते नहीं रखी । इस सम्प्रदाय के लोगो ने यह भाग वभी नहीं उठाई हि जय जिसी सम्प्रदाय से उहें सतरा है सिफ पजाव और बगान ष हिंदुआ य मुसलमानों वो ही बहुमत समुगाय से सतरा दियाई दने लगा था । अलग-अलग निर्वाचन शेत्रो थी मांग से हिदुभ भर मुसलमानों म संघप गौर भी तेज हो गया । उस ममप प्रिटिग प्रधानमभ्नी न यह पोपणा पी थी मि ब्रिटिश सरवार विनोष स्थिति मे सरक्षण रखते हुए उत्तरदायी सप घासन मे सिद्धात वोस्थीकार बरती है। गवमरी प्रातो में वाहरी हस्तक्षेप से रहित पूण उत्तरदायी शामन रहेगा बौर विभिन श्रात अपने मनोनुदूल शासन चना सकेगे। इसका जिन्न राजिद्ध प्रसाद ने अपनी पुस्तव खण्डिग भारत मे विया है। इस घोषणा ये वाद ही 1932 में साम्प्रदायिव निर्वाचन पद्धति द्वारा अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिवार दे दिया गया । इसपें न सिफ मुललमानों वे लिए बल्कि ईसाइयो लिकयो पारमिणों एग्ला इण्डियनो महिलाओ के लिए भी स्थाप सुरक्षित रखे गए । मारलें मिण्टो रिफाम से जिस साम्प्रदापिव भावना को बढ़ाने का प्रयास किया गया था मारेग्र चेम्सफोड वह बेहद तीव्र हो गई। 1९37 बे चुनावों मे वांग्रेस बो भारी विजय प्राप्त हुई । वायेस ने सभी मेर- मुस्लिम सीटों और बुछ मुस्लिम सीट पर भी अपने उम्मीदवार खडे वि चुनाव मे उन प्रांतो में उनके उम्मीदयार विजयी हुए जहा पर मुसलमानों वी सख्या अधिक थी लेविन दूमरी ओर लीप फो बगाल पंजाव सी माप्रात व सिंध बे र्लाको मे अधिय सफलता नहीं मिल सवी । इस चुनाव मे लीग बी हार मे चाद भारतीय राजनीति मे प्रत्यक्ष रूप से अलग से मुस्लिय राष्ट्र की माग सामने आई | इव चाल 1930 मे ही पंजाब उ० प्र० सी ० प्रा० सिघ और बिलोचिस्तान




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