प्रेम कहानी | Prem Kahani

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Prem Kahani by विनोदशंकर व्यास - Vinod Shankar Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विक्टर झूगों एडिली के विश्वासधात ने विक्टर छगो को विश्क्त कर दिया । खियों पर से उसका विश्वास उठ गया ! उस समय तक उसके कई नाटक खेठे जा चुके थे । जनता ने उनका खूब स्वागत किया था । १८९३ में उसका एक नवीस नाटक खेला जानेवाला था। उन दिनों एक नाव्यशाला में उसकी दृष्टि 'जूलिएट' नाम की एक अत्यन्त सुन्दरी ऐक्ट्रेस पर पड़ी । वह जवानी के पूर्ण आबेग में थी । उसकी आकृति बढ़ी पतित्र और गंभीर थी । उसकी 'आँखें शान्त और सनसोहक थीं । रिहसल के समय विवटर से झमेक बार उसे देखा था । उसके सौन्दये में विक्टर को अपनी आर आकर्षित किया । किन्तु उसे उसपर भी विश्वास करने का साहस न हुआ ! जूलिएट के प्रति विक्टर की शुप्त सहानुभूति होने के कारण ही, विक्टश के एक ये नाटक में, उसे एक शनी का पार दिया गया । जूलिएट को यह मली मैंति मालूम, था कि विक्टर ऐक्ट्रेसों ( अभि नेत्रियों ) को घृणा की हृष्टि से देखता है ! सम्मवतः ध्ट




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