दलपत विलास | Dalpat Vilas

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Dalpat Vilas by रावत सारस्वत - Ravat Sarasvat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दे ग्रय वी महत्ता को श्रौर श्रघिक प्रतिपादित करने वी चेप्टा करने के स्वान पर मैं राजस्थान के श्रघवारयुगीत इतिहास के उद्घारव डा० दशरय शर्मा द्वारा लिखिन उन पक्तियो को उद्धृत करने वा लोभ सवरणा नहीं बर सकता जो उत्हेनि स्वय द्वारा सपादित दयालदास री ख्यात भाग २ वीं सूमिका में प्रस्तुत ग्रथ के विपय में निम्न प्रकार लिसी हैं। यह सौभाग्य की वात है कि भ्रथ या ऐतिहासिक हप्टि से विस्तृत समीक्षण भी डाक्टर साहय ने सिख दिया है जो अधिक्ल रूप में प्रकाशित कर दिया गया है। नुड्ा 0 वा दि फुाए०७ लीएएएाॉडड 1 पिवा5प0छ / 8 इलाुए 6101 05 एण्ड 15 50 1कण दि 5 पड ताक छाई . प्रष्ि४ णच फगव पिएं फण०पीए 0 वा प्0008 9ए है. परेगफ् &ताप59 एव 8. हैण000 उप5 11 णिघाउ | उघि6 0 छछि 15 दि 1 15 रिविट्राएडाधवित एफ2ा 186 1 दाधहए प्र्ए6 साशवाह्त 1 प्िषि 25 रही 5 इलादड एटा 2 | पता पडएादड 6 ७ 1 0एाप है 6 एप वीए छा दावा बाते छह परशनितुर 1 हित न ६ 2 2६ 00 फि७ फै्ट्रीण्सों पा ॉड० पिंड डाठेलीछीिड 6. धपाााीष क्डडास्‍500एु पाएँ फिहफ एड ध 00८08 छावए४ प्रा ५िधड 01 6. पाए शा रण फ०्छावा पाइ०प४ . ० दिएते पीना पिलााण फातड प6५्टा 186 एफ मै दफा फिाएइडॉ है 116 पड १00 1 पाएं पा हित 0 00 फल ऐंट6ते . 0 १ & छापा ८०0पटाघ00 घिएग घ. 00४ 04 ६0001 5 घट पाएँ राह स०पत फ्तीक 9७ €रल्लंव्ते १6 हॉशधापा इटली ड्लि।एटुड 10506 0६ कणों प्रघ्विडी 00516 .5धहा0 १0 पाइ डल्टि 15 पा. हाफ 0 8 छाकडड०0 भा पाइएफ १.5 एल सादा 0 दिए. श 2६ 2६ 2८ राजस्थानी इतिहास लेयन की परम्परा राजस्यानी भाषा में दो प्रकार के इतिहास ग्रय मिलते हैं । एक तो रास्कून इतिहास ग्रयो यो परम्परा में लिले गए पथबद्ध ग्रय और दूसरे फारनी तवारीसों वी शैली में लिखे गए गद्य ग्रय । पहली श्र णी के ग्रयो मे मोटे स्प में घरियनायष फ5ह९5 5-6 एछप०वेघ८घ०0-एबवड पर दिपि्थिध एक हा य1 नि. 350 5५8 दाह -336५1 01९51 8 चर्5 9० प्रा - 40०00 55511 1.1 9ि519 छाधिपटा




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