मोहें जो दड़ो तथा सिंधु सभ्यता | Moheja doro Tatha Sindhu Sabhyata
श्रेणी : सभ्यता एवं संस्कृति / Cultural
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.3 MB
कुल पष्ठ :
312
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७. )
के श्रध्यक्षों ने श्रनेक प्रकार की सुविधाएँ दी हैं, जिसके लिये मैं
उनका कृतद्न हूँ ।
मेरे गुर डा० रमाशंकर त्रिपाठी, एम० ए०,. पी०-एच० डी०
( लंदन ) ने इस पुस्तक के कुछ श्रध्यायों के देखने की कृपा की है ।
में श्रापके प्रति कृत्लाता प्रकट करता हूँ ।
काशी-नागरीप्रचारिंगो सभा ने इस पुस्तक का प्रकाशन -भार
लेकर हिंदी साहित्य के एक बड़े श्रभाव को पूरा किया है। सिंघु-
सम्यता संब घी जो थोड़ी पुस्तके हैं भी वे एक तो अंगरेजी भाषा
में हैं श्रोर दूसरे उनका मूल्य भी बहुत अधिक है। सभा ने इस
पुस्तक के प्रकाशन द्वारा इन कठिनाइयों के दुर कर दिया है ।
इस काय के लिये सभा के श्धघिकारीगण तथा भारत कलाभवन
के प्राण श्री राय कृष्णुदास मेरे घन्यवाद के पात्र हैं |
अंत में में इतिहास के उन उद्भट विद्वानों के प्रात भी कतज्ञता
ज्ञापन करता हूँ जिनसे मिलकर तथा जिनके लेखों के पढ़कर मेरा
इतिहास-ज्ञान अनेक दिशाओं में आलोकित हुआ है ।
तीन वष के श्रविश्नांत जीवन के पश्चात् एक बार फिर विद्यार्थी-
जीवन कौ ओर लौटना मेरे जीवन की एक असाधारण घटना हैं ।
कदाचित् भगवान् बुद्ध का स्नेहमय श्रादेश था कि में त्रिघिम तथा
संस्कृति की इस श्रनुपम त्रिवेणी श्री पुण्या वाराणसी में श्राकर श्रपने
जीवन की अंतिम शिक्षा ग्रहण करू । इस नवीन परिस्थिति में
पहुँचकर मुे इतना पर्याप्त अवकाश नहीं मिला कि में इस पुस्तक में
श्रावश्यक संशोधन आदि कर सकू । किंतु मैं प्रेमी पाठकों
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