चकबस्त लखनवी और उनकी शायरी | Chakabasta Lakhanvi Aur Unki Shyari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
115
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चकबस्त लखनवी श्भ्रु
उभारने में कमाल रखते थे । मुहरंम की मजलिसों में, श्रौर
न्य भ्रवसरों पर भी, जब “'श्रनीस' के मर्सिये पढ़े जाते थे तो
श्रोतागण द्रवित हो जाते थे श्रौर सभी की आँखों से भ्रांसु
बहने लगते थे । उत्कृष्ट मानवीय भावों की श्रभिव्यक्ति की इसी
परम्परा ने 'चकबस्त' की रचनाय्रों में आ्रागे चलकर देश-प्रेम
का रूप धारण कर लिया ।
इसे भी 'चकबस्त' की स्वातन्त्रय-प्रियता ही कहा जायगा
कि उन्होंने प्रचलित रीति के श्रचुसार किसी को गुरु नहीं
बनाया बल्कि हर जगह से जो चीज उन्हें भ्रच्छी दिखाई दी
उसे उन्होंने ले लिया श्रौर उनकी इस श्रात्म-शिक्षा ने उनके
भावुक हृदय, सत्यप्रियता और विचारशील मस्तिष्क के साथ
मिलकर उनके लिए काव्य-जगत में एक शभ्रलग मगर ऊंची
जगह तैयार कर दी ।
देदाभक्ति श्रौर मानवता प्रेम
उद के बारे में यह एक भ्राम ग़लतफ़हमी है कि उसमें
देशभक्ति के भाव नहों मिलते । किन्तु सत्य यह है कि जब
से भारत में राष्ट्रीय चेतना पेदा हुई है तब से भ्रब तक उदूं
में बराबर हमें इस भावना के दर्शन होते हैं । बीसवीं शताब्दी
में उद् कवियों ने समाजोन्मुख होकर जो कुछ भी लिखा है
उसमें 'इक़बाल' की बाद वाली रचनाग्रों के भ्रतिरिक्त श्रौर
सब में राष्ट्र-प्रेम, श्राज्धादी की लगन ्रौर देशवासियों के
प्राधिक श्र नेतिक उत्थान की भ्रमिलाषा के भाव कुट-कूट
कर भरे हुए हैं । 'हाली', “श्रकबर', प्रारंभिक काल में 'इक़बाल',
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