भाषा की शक्ति और अन्य निबंध | Bhasha Ki Shakti Aur Anya Nibandh
श्रेणी : निबंध / Essay, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.06 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ हद. ३
के साथ शवेतता की ही ध्वनि निकलती है, फारसी और उर्दू मे अचिर-
स्थाथिता की। हिर्दी मे ९ान्रि को कपुर से उपभा देने क। यही जे
रूगाय जायगो कि घबल चन्द्र छा गई, उर्दू में इस उपभा १। अं
होगा कि रात जल्दी से बीत गई । इन बातों पर ध्यान न देने से अर्थ १५
अन्थ हो सकता है।
ऋषि भी उन शब्दों में है जिनके साथ अ।जकर्ज बडी अन्याय होत।
है । 'ऋषयों भन्रष्टार ' जिन लोगों के 1९ वेदों के मन अवतरित हुए
है उनको ऋषि कहते है। हमारे जीनन में वेदों क। जो अप्रतिम स्थान है
उसकों देखते हुए वेद मन्रो से सम्बन्ध रखनेवाऊे इन भहापुर्षों के लिये
एक पुथन लाभ हीना कोई बुरी बात या बडी बात नहीं थी । अन्य मती
में भी पैग+4र या प्रॉफेट शब्द इसी कार के व्यक्तियों के लिए छोड दिये
गये हैं। पर अाजेकर यह दरतुर चर पढ़ा हैं कि नये भतों के अनेक
कषि कहे जायेँ। कभी-कभी राजनीतिक नेता भी ऋषि या ऋषिकल्प
कहे जाते हैं। यह घॉधली हैं। जो लोग इने नये लोगो क। आदर करते
है बह. उनको सुगभता से दूसरी उपाधियों दे सकते है। भूगु, वशिप्ठ,
अधगिर। ऋषि थे ५९ उनकी कोई धूजा नहीं करता; राम छु्ण ऋषि नहीं
थें परन्तु पुजते है। अपर जैसी पुरानी उपाधियों से काम चह्ी चलता तो
भाषा अभी बन्ध्या नहीं हुई है, नये शब्द गढे जा सकते है । जिस प्रकार
जी सीना नहीं जानता उसको दर्जी कहना असालु अयोग है उसी प्रकार
जो मन्रष्ट। पही है उसको ऋषि कहा असाधु प्रयोग है।
यहं थोड से उदाहरण मान है। सोचने से ऐसे और बहुत से शरद
मिरेंगे जो दुष्भयोग के कारण वाक्य के कठेवर को बिगाड देते है।
हम देख चुके है कि भाष। का प्रयोग श्रोता को प्रभावित करने के
उ्टेश्य से होत। हैं। श्रोता में किसी भाव को जगाना प्रभावित करने
१ एक प्रकार हूं। नही भाव जगाये जा सकते हैं जो बीज रूप से श्रोत।
के अन्त करण में थहूरे से विद्यमान हो। इसलिए ऐसे शब्दों से कम दिया
जाते। है जिनमें गभ्मीर ध्वनियाँ हो, जिनके बान्याथ उभयपक्ष के अचुसन
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