भाषा भूषण | Bhasha Bhushan

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Bhasha Bhushan by पंडित कृष्ण दत्त - Pt. Krishn Datt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ः रे _........... श् पर (बचे रहता भादू। बुधकन्य) का यकरका इयर टेक सुताजाद सिंथुन सूसा कमका प्र या |समनादू॥ चंलिशफे का भीनकीा उसरदिशिरे सिणसाड /जोरशाहा पल करेखुशामद रुर्ें यहवी करैडूदाय ॥ सबी फछूते जाय के कया गरीव चोर रा हक ॥ ५१ भेएलिर र ।पिहका चना उनके लाल होते बस्तर 'यीनअंगन! मकर चूद्रके हो पीले अकसर । धन कर्केटदविविद ले के संपेद हें सबसे बिह्तर। सिथुनतुलाके कुंधरे का सेबस्तरकहताशाखर । सुनी होय सो समभेग। ग् गोश्सू- रख सुनके करे बहन ॥ सबी पूंछतेआन के दया शरीद जोरक्णाहाकम।। ३.५ लाल दस्त में सुमकारण से कि युर्ध सोबे प्यारे ५ येते असुग हैं सदा फल जशुभय पेदेने।, छिर पीले बत्तरखंशी सुनावे सपेद भरदे यडारे1। काले ।वस्तररोयें वो पहावे जग, दवा सुन रसकरे ।ीचलाज़ायोजातेरीलंगत! उद्यम ॥ सबी पूछतेभानकि यणगरीव जोर छाकस ॥ ४1१) !! ४) रा सम कहे जात सुम शुनियो जी नरनारी 01 ज्योतिष की सम |हिगासब शासन से भारी ॥ टेक पंड़िया नोगी को रूर: चदिशा सब जानें ॥'योशिनी को वास! कह ये सुना धरध्या। ने. साणीउसका नाम किया बैयानें 2 'केगूनी हायर ._सोसनको पहचाने । वह क्याजानेगा जिसकी सक गरूमारी ' ज्योतिष की महिस) सब शास्वन में थारी ॥ (ि। साय रशभी कोउत्तरमें बतलाया॥। सेउसक नाग 'इद्राणी यह समंसाया 1 तन्तिया ग्शि कोन




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