चिकित्सा चन्द्रोदय | Chikitsa Chandrodaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आयुर्वेद की. उत्पत्ति | घागमट के चादू “चड़्सेन” का नम्बर है। कोई कहता है, आप चविक्रमकी ग्यारदवीं शताद्दीमें हुए और फोई कहता है कि, चार पाँच सौ च्प पहले माप वज्ञालमें मौजूद थे । आपने भी--चरक, सुश्ुत और चायूमट के आधार पर--अपने नामसे एक श्रत्थ लिखा है। जो “ चड्ड्सेन” के नाम से मशहूर है। आपकी चिकित्सा-पद्धति चहुत हीं उत्तम है। आपने जो लिखा है, चदद बहुत ही सरठ रीति से लिखा है, और ऐसे अच्छे ढँगसे छिखा है कि, जो विपय दूसरे ग्रन्थों में आसानी से समभमें न आता हो, वह इसमें वड़ी ही आासा- नीले समन में आ जाता है। इसके सिवा, इसमें एक थीर थयूची है, कि जो विपय और ग्रन्थों में नहीं हैं, बह भी इसमें मिछते है । यह ग्रन्थ भी चैदयोंके पढ़ने-योग्य है | घड्डसेव के बाद माधवाचाय्य-लिखित “माधव निदान” का नम्वर है। कहते हैं,--आप, इंसाकी चारहवीं सदीमें, विजयनगर के राजाके प्रधान मन्त्री थे । खुपसिद्ध सायण आचाय्ये आपके भाई थे । आपने अलग-अलग विपयों पर अनेक श्रन्य दिखे हैं, पर चिंकित्सा- शास्र के सस्वन्ध्ें आपका लिखा “माधव निदान” ही सव्वोत्तम है । यद्यपि इसमें आजकलके अनेक रोगोंके निदान नहीं है, तथापि इस काम फे लिये इससे अच्छा श्रन्थ भर नहीं है, इसीसे प्रत्येक वैद्य इसे अवश्य पढ़ता है । माघवनिदान के चादू॒ “भाव प्रकाश” है । इसके लेखक मदरास- प्रान्त के रहनेवाले भाव मिश्र मद्दीद्य हैं । भापने भी अपने नामसे एक भ्रन्थ लिखा है । उसका नामही “भावप्रकाश” है । यद्यपि आपने अपना ग्रन्थ चरक, सुशुत आदि के आधार पर लिखा है, तथापि आपने अपनी और से भी खूब काम किया हैं । पोर्च्यूगीज़ यथा पुर्सेगाल-निवास्री आपके समयमें भारतमें आ गये थे, इससे आपने फरद्रिस्तानसे आनेवाले फिरडू प्रशनति होगोंका भी जिक्र किया है । यह श्रन्थ भी बेद्यों के पढ़ने-योग्य है । भाव प्रकाश के वाद ''शाहूंघर” का नम्बर है । शाजंघर नामफे




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