गाल्सवर्दी के तीन नाटक | Gaalsavardi Ke Teen Natak

Book Image : गाल्सवर्दी के तीन नाटक  - Gaalsavardi Ke Teen Natak

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प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में उनके पिता का देहान्त हो गया जिसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। १३ साल की उम्र में ही उन्‍होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया। उनक

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चाँदी को डिबिया | १४ बराबर है--बेहदी बात है, बिलकुल वाहियात, (हसता है) मैं क्या कहने जा रहा था । मुक्के थोडी-सी द्विस्की दो । [ जोस उसे द्धिस्की देता हे, घोर ललको से पाती का छोंटा मारता है। ] मैं तुमसे यह कहने जा रहा था, कि मेरी उससे तकरार हो गई। ( बदुए को भुलाता है ) थोडी-सी पीलो जोन्स--तुम्हारे बगैर यह काम ही न हो सकता--इसी से मैं तुम्हें पिला रहा हूँ । भगर कोई जान भी जाय, कि मैंने उसके रुपये उडा दिए, तो क्या करता । शुडल (सोफा पर पेर रख लेता हे ।) शोर मत करो झौर जो चाहे सो करो । शराब उंडेली भोर खूब डटकर पियो । सिगरेट लो, जो चाहेसो लो । तुम्हारे बगैर वह हरगिंज़ न फंसती । (प्राँखें बन्द करके) तुम टोरी हां, मैं खुद लिबरल हूँ, थोडी-सी पियो--मैं बडा बाका भादमी हूँ । [ उसका सिर पीछे की तरफ लटक जाता है, दह मुसकुराता हुमा सो जाता हे, श्रौर जोस खड़ा होकर उसकी तरफ ताकता है, तब लेक के हाथ से गिलास छीनकर पी जाता हे । वह दटुए को नेक की कमीज के सामने से उठा लेता है । उसे रोशनी में देखता है पर सूघता है। ] जोन्स भाज किसी भच्छे भादमी का मुह देखकर उठा था 1 [ जेक के सामने की जेब में उसे दूस देता है। 1 जैक (घडवडाता हुआ) चुडल ! बसा चकमा दिया । [ नैक चारों तरफ कनखियों से देखता हे, घह छिस्की उंड्ेल कर पी जाता है, तद चाँदो को डिब्रिया से एक सिगरेट निकासकर थो- एक दस सगाता है श्रीर द्विस्की पीता हे । फिर उसे बिलकुल होश नहीं रहता । 1 जोन्स अडी भच्छी भ्रच्छी चीजें जमा की हूँ । [ बहू जमीन पर पड़ी हुई लाल थेलो को देखता है। 1 हू माल बढ़िया । [ दहू उसे उंगली से छूता हे, किश्ती में रुख देता हे झोर नेक फी तरफ ताफता है। ] ह मोटा भ्रासामी 1 [ बहू माईने में भ्रपनो सूरत देखता हे । भपने हाय उठाबवर नर सन




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