हिंदी कुरान सूरे फातिहा | Hindi Quran Surah Fatiha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24.93 MB
कुल पष्ठ :
636
श्रेणी :
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No Information available about रघुनाथप्रसाद मिश्र - Raghunathprasad Mishr
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहिला पारा हिन्दी क़रान .... सूरे वकर १९ रूदा फ़र्माता हे दद्द गाय न तो कपेरो हो कि ज़सीन जोतती हो श्शेर न खतो को पानी दती हे सहो सालिस एक रंग उस स किस तरह का दारा घन्चा न हो व बोल हां अच ठुस ठोक पता लाये रारज्ञ उन्होने गाय हलाल की अर उनसे उम्सेंद न थो कि करेगे ७१ रसू-९ झोर हे याकृूव के बेटों जब ठुमने नतोटः--यहां पर झायदत नम्बर ६७ से ७३ तक पढ़ने से यह मालस होता हें कि हज़रत मुसा नें गाय को हलाल कराकर उसके टकड़े से सरे को जिलाने बा चसप्सार दिखलाया है ताकि लोग उ- नको यात माने इससे ज़ादिर हे कि जिस सनप्य में गाय के टकड़े से मरे आदमी को जिलाने को सासथे हे। चह उस आदमी को जि- लाने के लिये यदि किसी जानवर को दलाल कराद आर सरे को ज़िलादे तो करसक्ता हैं झम्यथा नहीं इससे गाय को दृस्यल करने की आशा नहीं पाइजाती | दसरे अगर कोई पके कि गाय दो क्यो हज़रत मंसा ने दलाल कराया और किसी जानवर के टकड़े से क्यो नहीं चमत्कार दिख- लाया ? इसका उत्तर यह है कि मसा द जाति के लोग के देद्द सं गहने ६ जेवर सांग लेगये परत वे लोग जिनसे जेवर लंगये थे मारंगये ओर सूखा दर पर तॉरत लेनेंगय | सांवरी क कहने से सब यह सांगा हम ज्ञेचर इकड्रा करलियागया इस जेवर का सांचराने एक चछड़ा वनाया आवाज़ भी चछड़े कोसो थी पस इसका चोली का चमप्कार देखकर मसा की जाति के लोग कहनेलगे यहा हमारा रूदा आर यहीं सूखा का खदा है देखो खिपायरा १६ रुक रूर व १३९ व नवां खिपारा रुक ७ व पंहेला सखिपारा आयत नं० ५१ निदान जब मुसा की जाति के लोग तन सन धनसे वक्तड़े कया पूजा मं लगगयं तो मसा ने इसका राकलना मनासिव समझा क्योंकि विना इसके चन्द किये मसा अपने मतलव को नहीं पूरा कहर
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