जच्चा | Jachcha

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Jachcha by कविराज श्री प्रताप सिंह - Kaviraj Sri Pratap Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दे मासिक धर्म म्5 होतो देखी गई हैं। किन्तु यह पक असाघारण नियम है+ यह बात सब देशों में बालिकाओं के माता-पिता .की- चिला- सता, चंचलता श्र कामासक्तता पर निर्भर है 1. जिस देश में. जितनी झधिक विलासता बढ़ती है, उस देश को :कन्याएँ उतनी हो छोटो अवस्था में रजस्वला होने लगती हैं। :+ १-साधारणुतया एक वार ऋतुस्ताव होने के पश्चात्‌ ने८ दिन के दाद फिर दुखरी वार ऋतुस्ताव होना चाहिए । किन्तु किसी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य में परिवत्तन हो तो बात दूसरी है। यों तो वीच के दिनों में २४ या ३२ दिन का झन्तर रहता हो तो भी कुछ हानि नहीं । परन्तु बीच के दिनों का समय सदैव नियत रहना चाहिए । चाहे २४ दिन के दाद हो, चाहे २८ दिन के बाद हो झथवां ३२ दिन के .वाद दो, परन्तु ऐसा न हो कि किसो मास में २४ दिन के वाद श्र किसी मास में २८ दिन के वाद ,श्रथवा किसी मास में ३२ दिन के बाद होता हो । ऐसा होना: झस्वास्थ्य-सूचक . और हानिकारक है । ः क २--सन्तान-उत्पत्ति की. योग्यता: रहने तक रजस्ताव 'बरावर जारी रहता है। प्राय ४० वर्ष की झवस्था हो जाने के पश्चात यह चन्द होता है । कुछ ख्ियाँ का माखिक धर्म ५०.वर्ष को अवस्था तक जारी रहता है। किन्तु यह साधारण नियम नहीं है । प्रायः देखा जाता है कि ऋतुस्ताव प्रारम्भ होने की शायु से ३० वर्ष पश्चात्‌ बन्द हो जाता है । कुछ विदेशी ;लोगों




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