बुद्धकालीन भारत का भौगोलिक परिचय | Buddhkalin Bharatka Bhoigolik Parichay

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Book Image : बुद्धकालीन भारत का भौगोलिक परिचय  - Buddhkalin Bharatka Bhoigolik Parichay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हूँ रे सुल्दरिका--यद्द कोशल जनपद की एक नदी थी डे + ना है खुसागधा--जयह राजयूदद के पास एक पुष्क्रिणी थी । “डे की सरभू-इस ससय इसे खरयू कदते है । यद भारत की पाँच यड़ी नदियों में से एक थी । यद हिसाकय से निकल कर बिहार प्रान्त में गंगा से मिकती है । इसी के किनारे अयोध्या नगरी वी है 1 स्वरस्बती--+गंगा की भाँविं यदद एक पवित्र नदी है, जो दिनाछिक पर्वत से निकत्ठ कर अस्वाला के मादि-बन्ी में मैदान मे उतरती हे । सेन्रचती--दसी नदी के किनारे वेन्रवती नगर था । इस समय इसे चवेतवचा नदी कहते हैं और इसी के किनारे सेठसा ( प्राचीन दिदिशा ) नगर बसा हुआ ह्े। बेतरणी--इसे यम की नदी कदते दे । इससे नारकीय प्राणी दुख भोगते दे । ( देखो, संयुत्त निकाय, पृष्ठ ९ ;) 1. यनुना--यद भारत की पाँच घच्ी नदियों में से एक थी । चर्तमान समय में भी इसे यमुना ही फदते हैं । पव॑त और जुदा सचिघकूट-एइसका वर्णन अपदान में सिछता है । यदद दिसार्य से काफी दूर था । बतमान समय में घुन्देखसख्ण्द के काम्पतनाथ गिरि को दी चित्रकूट साना जाता है । चिघ्रकूद स्टेशन से ४ मील दूर स्थित दे । 'चोरपपात--यह राजणदद के पास एफ पर्वत था 1 गन्घमादन--यह्द दिमाख्य पर्वत के कैकाका का एक भाग है | रायायीपे--यद पत्र गया में था । यहीं से सिद्धार्थ गौतम उरुवेछा में गये थे शोर यहीं पर बुद्ध ने जटिछों को उपदेश दिया था । यद्धकूद-एयदद राजयूदद का एक पर्वत था । इसका दिखर युद्ध की भाँति था, इसीलिये इसे युद्धकूट कद्दा जाता था । यहाँ पर सगवान्‌ ने बहुत दिनों तक विहार किया सर उपदेधा दिया था । चिमवन्त-उदिमारय को दी दिमवन्त कहते हैं । इन्द्रशाल इुड्ा--राजयूह के पास अम्बसप्ड नमक प्राइाण असम से थोदी दूर पर चेदिक पर्चत में इग्ज्शाक युष्ा थी । इुन्द्रकूट-उयह भी राजगुद् के पास था । च्हचिशिए्छे--राजयूद का एक पदैत 1 छुररघर--उयद्द अवन्ति जनपद में था । सद्दाकात्यायन ने कछुररघर पंत पर चिद्दार किधा था । कालरिला-उयद्द रानयुद्द में थी । पायीनवंदा--यहद राजयूद्द के वेपुस्य पर्वत का पौराणिक नाम है । पिफ्फरलि रुद्ा--यहद राजयूद्द में थी । स्त्तपण्णी सुद्दा--मथम सगीति राजगूद की सत्तपण्णी शुद्दा में ही हुई थी । खिनेरु--यद्द चारों सद्दाद्ीपों ट् के सध्य स्थित सर्वोध्य पर्घ॑त है । मेस बौर खुमेरु भी इसे हो कदते हैं । दे दी ड की ० पे ८ या चचेत पर्चत्त--यह्द हिमालय में स्थित दे । कैठादय को हो इवेत पचत कहते है । ( देखो, संयुत्त निकाय, छछ दद ) । दर ः खुसुमाररिरि--यद्द भर्ग प्रदेश में था । सनार के सास्पास की पदासियाँ दो सुख मार गिरि कै । गे अ




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