बुद्धकालीन भारत का भौगोलिक परिचय | Buddhkalin Bharatka Bhoigolik Parichay
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29.89 MB
कुल पष्ठ :
1121
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हूँ रे
सुल्दरिका--यद्द कोशल जनपद की एक नदी थी डे + ना है
खुसागधा--जयह राजयूदद के पास एक पुष्क्रिणी थी । “डे की
सरभू-इस ससय इसे खरयू कदते है । यद भारत की पाँच यड़ी नदियों में से एक थी । यद
हिसाकय से निकल कर बिहार प्रान्त में गंगा से मिकती है । इसी के किनारे अयोध्या नगरी वी है 1
स्वरस्बती--+गंगा की भाँविं यदद एक पवित्र नदी है, जो दिनाछिक पर्वत से निकत्ठ कर अस्वाला
के मादि-बन्ी में मैदान मे उतरती हे ।
सेन्रचती--दसी नदी के किनारे वेन्रवती नगर था । इस समय इसे चवेतवचा नदी कहते हैं और
इसी के किनारे सेठसा ( प्राचीन दिदिशा ) नगर बसा हुआ ह्े।
बेतरणी--इसे यम की नदी कदते दे । इससे नारकीय प्राणी दुख भोगते दे । ( देखो, संयुत्त
निकाय, पृष्ठ ९ ;) 1.
यनुना--यद भारत की पाँच घच्ी नदियों में से एक थी । चर्तमान समय में भी इसे यमुना
ही फदते हैं ।
पव॑त और जुदा
सचिघकूट-एइसका वर्णन अपदान में सिछता है । यदद दिसार्य से काफी दूर था । बतमान
समय में घुन्देखसख्ण्द के काम्पतनाथ गिरि को दी चित्रकूट साना जाता है । चिघ्रकूद स्टेशन से ४ मील
दूर स्थित दे ।
'चोरपपात--यह राजणदद के पास एफ पर्वत था 1
गन्घमादन--यह्द दिमाख्य पर्वत के कैकाका का एक भाग है |
रायायीपे--यद पत्र गया में था । यहीं से सिद्धार्थ गौतम उरुवेछा में गये थे शोर यहीं पर
बुद्ध ने जटिछों को उपदेश दिया था ।
यद्धकूद-एयदद राजयूदद का एक पर्वत था । इसका दिखर युद्ध की भाँति था, इसीलिये इसे
युद्धकूट कद्दा जाता था । यहाँ पर सगवान् ने बहुत दिनों तक विहार किया सर उपदेधा दिया था ।
चिमवन्त-उदिमारय को दी दिमवन्त कहते हैं ।
इन्द्रशाल इुड्ा--राजयूह के पास अम्बसप्ड नमक प्राइाण असम से थोदी दूर पर चेदिक
पर्चत में इग्ज्शाक युष्ा थी ।
इुन्द्रकूट-उयह भी राजगुद् के पास था ।
च्हचिशिए्छे--राजयूद का एक पदैत 1
छुररघर--उयद्द अवन्ति जनपद में था । सद्दाकात्यायन ने कछुररघर पंत पर चिद्दार किधा था ।
कालरिला-उयद्द रानयुद्द में थी ।
पायीनवंदा--यहद राजयूद्द के वेपुस्य पर्वत का पौराणिक नाम है ।
पिफ्फरलि रुद्ा--यहद राजयूद्द में थी ।
स्त्तपण्णी सुद्दा--मथम सगीति राजगूद की सत्तपण्णी शुद्दा में ही हुई थी ।
खिनेरु--यद्द चारों सद्दाद्ीपों
ट् के सध्य स्थित सर्वोध्य पर्घ॑त है । मेस बौर खुमेरु भी इसे
हो कदते हैं । दे दी
ड की ० पे ८ या
चचेत पर्चत्त--यह्द हिमालय में स्थित दे । कैठादय को हो इवेत पचत कहते है । ( देखो, संयुत्त
निकाय, छछ दद ) । दर ः
खुसुमाररिरि--यद्द भर्ग प्रदेश में था । सनार के सास्पास की पदासियाँ दो सुख
मार गिरि कै । गे अ
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