बूटी प्रकाश | Buti Prakash

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Buti Prakash by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नाम संस्कृत--पेरक जमतफल दिंदी >-द्मरूद तेहंगी--समांपड अग्रेजी:--गवाबाबेट फारसी--श्रमरूत झरबी---कमशरी ' मरंठी---पांदरेपेसः गुजराती-जामफल लैडन-सिडीये पैंजाबी-ग्रमरूत श्र धर झुण इसके दरलत श्रकमर बागों में होते हैं पत्ते इसके शाम के पत्तों से कुल छोटे फल इसके वर्षा श्र शिशरऋतु में देते हैं फल कई भ्रन्दर से लाल और कई 'सफैद दोते हैं, तासीर ठंदी तर स्यादु दी हैं कफ करनेवाले यात और वीये को बढ़ाने वाले दिलको ताकत देते हैं खफकान का नाश करे दमाग को तर करे और पित्त को दूर करते हैं रोटी -. खाने से पढिले खाने पर -कबनी करते हैं इसके परे दस्तों को पन्द करते हैं और सडेहुए पत्ते नीलेथोये का काम देते हैं ।ता- रे सोर ठंडीतर है । बदला--+बीह




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